फैशन पर कविता | Fashion Par Kavita
आप पढ़ रहे हैं फैशन पर कविता :- फैशन पर कविता वाह वाह क्या है? फैशन का मेला। गुरु गुड़ रह गया, शक्कर बन गया चेला। फैशन है बाजार का, नया पैंतरा व झांसा। किसी को भी इसने,नही छोड़ा सबको फांसा। बिगड़ी का नाम है फैशन। यह पैदा करती है…