विरह गीत :- कोयलिया गीत सुनाती है | Virah Geet
आप पढ़ रहे हैं विरह गीत “कोयलिया गीत सुनाती है” :-
विरह गीत
कोयलिया गीत सुनाती है,
कोयलिया गीत सुनाती है।
गीत के गुन्जन से
रग रग में विष सा छाती है।
कोयलिया गीत……
प्रथम बार का मिलन आज ,
यादों में फिर है आया ।
स्वर्णिम पल जो बीत गये थे ,
उनकी पड़ती छाया ।।
गीत की बोली उर में
मेरे शूल चुभाती है।
कोयलिया गीत…. (1)
विरहानल में जलती प्यारे ,
रात चाँदनी आयी ।
दर्द भरी होती है कैसी ,
मधुरिम सी अँगड़ाई ।।
तप्त तवे पर लगता
जैसे जल बरसाती है ।
कोयलिया गीत ….. (2)
हम इंसानों की होती है ,
कभी कभी मजबूरी ।
दिल होता है पास कंत के ,
तन की होती दूरी ।।
जाति तुम्हारी पंछी की
क्यों मुझे सताती है ।
कोयलिया गीत……. (3)
कोयल साथ निभाती निदिया ,
बैरन बनी है मेरी ।
दुखते नैन को चैन नहीं है ,
आती याद घनेरी ।।
मन मन्दिर में तपन
बढ़ाकर मुझे तपाती है ।
कोयलिया गीत …….. (4)
जगती तपती विरह अगन से ,
मैं विरही दीवानीं ।
किसे ढूढ़ती तूँ फिरती है ,
क्या है तेरी कहानी ।।
व्यथा कथा के गीत
अनल से मुझे जलाती है ।
कोयलिया गीत…. (5)
बीत गई है रैन सिसकते ,
चैन न इक पल पाई ।
क्या जानूँ मैं कैसी है ए ,
ऊषा की अँगड़ाई ।।
काँटों सम तूँ गीत
सुनाकर दर्द जगाती है ।
कोयलिया गीत……. (6)
पढ़िए :- हिंदी कविता विरह वेदना | Hindi Kavita Virah Vedna
रचनाकार का परिचय
नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964
जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।
शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।
बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश
पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।
अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।
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