ऋतुराज बसंत के स्वागत में हिंदी कविता स्वागत बसंत का :-

हिंदी कविता स्वागत बसंत का

हिंदी कविता स्वागत बसंत का

सवैया पद

है होने लगी बिहँसित धरती,
कुहासा भी व्योम से जाने लगा है ।
व्यतीत हुई अब शीत की रीति,
धरा पर आतप आने लगा है ।

हैं होने लगीं कलियां विकसित,
देखि के अलि हरषाने लगा है ।
सखि देखत में अस लागत है,
बसंत यहाँ निअराने लगा है ।। (1)

कवित् पद

गेंदा औ गुलाब कुन्द केतकी कनेर बेला,
बेइल वितान मानों आज सब छाये हैं ।
सरसों मटर और अलसी के फूल खिले,
हिल मिल छँटा अनुपम सी बनाये हैं ।

सेमल पलाश जूही सबही फुलाई रहे,
चम्पा औ चमेली सब धरा को सजाये हैं।
अढ़उल गुल गुलदावदी को देखि मानों ,
रतिपति रति धरि रूप अब आये हैं ।। (2)

सवैया पद

ऋतुकंत बसंत है द्वारे खड़ा,
सखि स्वागत में है चली तितली ।
आगाज हुआ जबसे ऋतुराज का,
सज्जित हुई है धरा निकली ।

ढोल बजावत गावत झूमर,
मद मस्त बजै संग में डफली ।
स्वागत में ऋतुराज बसंत के,
है मन्द सुगन्ध समीर चली ।। (3)

सखि आओ चलें बगियाँ जँह,
कोयल आपन गीत सुनावत है ।
भँवरा बैइठै उड़ि फूलन पर,
आनन्दित ह्वै सुख पावत है ।
हरषैं बिहसैं कलियां मन में,
पी पी बोलि पपीहा बुलावत है ।
छायी छँटा है अनन्त बसंत की,
सुरभित गन्ध अब आवत है ।। (4)

पढ़िए :- बसंत ऋतु पर कविता | देखो आ गयी बसंत


रचनाकार का परिचय

रूद्र नाथ चौबे ("रूद्र")नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964

जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।

शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।

बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश

पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।

अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।

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