आप पढ़ रहे हैं कविता ” कविताएं साथ चलती हैं ”

कविताएं साथ चलती हैं

कविताएं साथ चलती हैं
अकेले …
रहने नहीं देती ,
साथ चलती हैं।

निशब्द संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का….
संवाद बनती हैं।

कलम में ताकत भर,
स्मृतियों की आवाज बनती है।

अंतर्मन के शोर को..
बाहर लाने के लिए एकांत बनती है।

बिना अभिव्यक्त करें खुद को…
कवि मारा जा सकता है,
उसे बचाने के लिए…
नित नया आसमान रचती हैं।

कवि की सोच को विस्तार दें,
शब्दों में पंख लगा..
उड़ान बनती है।

युद्ध और शांति के बिगुल की आवाजें लेखनी में भर
मुखर आवाज़ बनती हैं।

प्रकृति के आंसुओं का हिसाब -किताब कर…
किताब बनती हैं।

अंतर्मन के ..
घाव़ो को भर
सम्मान बनती हैं।

दो बिछड़े प्रेमियों के बीच सामंजस्य बिठा
पुल का निर्माण करती हैं।

कविताएं…
बेहद जरूरी है एक कवि को बचाने के लिए।

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रचनाकार का परिचय

निमिषा सिंघल

नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा

निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।

उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।

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