Koyal Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं कोयल पर कविता ” कोकिला “

Koyal Par Kavita
कोयल पर कविता

Koyal Par Kavita

कानों में मिश्री सी घोले,
काली ‘ कोकिला ‘ मीठा बोले।

मीठी तान सुनाती है
गुण अमूल्य समझाती है।

पतझड़ हो या रहे बसंत,
सुर में मगन हो जाती है।

दिन देखें न रात कभी,
बड़ी लगन से गाती है।

कुहू -कुहू की नकल करो
यदि फिर से वही दोहराती है।

नीरस पतझड़ के मौसम में,
राग-रंग ले आती है।

लगता जैसे मधुर कंठ से
जीवन राग सिखाती है।

पढ़िए :- माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता ” कैदी और कोकिला “


रचनाकार का परिचय

निमिषा सिंघल

नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा

निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।

उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।

“ कोयल पर कविता ” ( Koyal Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

धन्यवाद।

Leave a Reply