कविता पर्यावरण पर :- कहीं खो गया | Kavita Paryavaran Par
कविता पर्यावरण पर वसुधा का वह सुनहरा दृश्य न जाने कहां लुप्त हो गया। प्रकृति का मोहक सा नजारा वृक्ष काटने से कहीं खो गया।। सूखे हुए पेड़ों के निराश तने आंसू बहा रहे हैं पतझड़ के। सलिल नहीं मिलने के कारण सूख रहे जीवन वृक्ष जड़ के।। वृक्ष काटने…