देश भक्ति दोहे सैनिकों पर
हर कतरा निज देह का,कर देते हैं दान।
रक्तिम बूंदों से लिखा,तन पर हिंदुस्तान।
दुश्मन का हो अंत ये, है बस मेरा काम।
भारत माँ की जय करूँ, और जपूँ श्री राम।।
देशभक्ति करता रहूँ, जन्म-जन्म सौ बार।
मौत मिले जो इस जन्म, पुनः लूँ मैं अवतार।
जब भी मेरा जन्म हो, हो भारत निज धाम।
हर बार फौज में रहूँ, करूँ देश के काम।
सैनिक हूँ मैं देश का, समझो न मुझे आम।
मेरी वजह से घर में, करते सब आराम।
देशभक्ति ही धर्म है, है मेरा ईमान।
देश से ही प्रेम करूँ,और करूँ अभिमान।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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बढ़िया poem