महाराणा प्रताप जी को समर्पित हरीश चमोली की कृपाण घनाक्षरी में ( Maharana Pratap Poem Hindi ) महाराणा प्रताप कविता हिंदी ” हाथों में है लिए भाल ” :-
महाराणा प्रताप कविता हिंदी
हाथों में है लिए भाल,आक्रोश में नेत्र लाल।
जोश है जिसका ढाल, है उड़ा गरुड़ चाल।
रक्त में आया उबाल,शत्रु को किया बेहाल।
युद्ध का उड़ा गुलाल,शत्रुओं की खींच खाल।
चेतक पर हो सवार,ले हाथ में तलवार।
सूरज की है पुकार,निश्चित शत्रु की हार।
दुश्मन ने बना धार,पीठ पीछे किया वार ।
राणा ने भरी हुंकार,शत्रुओं को ललकार।
शत्रुओं का बन श्राप,कभी बना पश्चाताप।
मातृभूमि की हो जीत,जीत का बन अलाप।
तप्त अग्नि सा है ताप,स्वांस है जलती भाप।
राज्य से रखा मिलाप,शत्रु ने किया विलाप।
किया नहीं कोई पाप,जोशीला था वार्तालाप।
बातों में रखके माप,उच्च किया रक्तचाप।
ईश्वर का किया जाप,क्षत्रियता निभा आप।
हल्दी घाटी युद्ध नाप, दिखा जीत का प्रताप।
दुश्मन का हो छलाव,अकबर का बुलाव।
राणा को नहीं लगाव,कोई भी हो बहकाव।
जंगलों में सोया रात,घास रोटी खाया साथ।
शत्रु की दिखा औकात,शत्रुओं को देदी मात।
खून में दिखाया रोष, भटके खानाबदोश।
राणा का अनोखा जोश,है विजय उद्धघोष।
पौरुष का रखा मान,कहानी ये है महान।
ये महाराणा प्रताप ,है अमर बलिदान।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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