मिट्टी की महिमा पर कविता :- हाँ मैं मिट्टी हूँ | Mitti Ki Mahima Par Kavita

सारा संसार ही मिट्टी का बना हुआ है। मिटटी से ही जीवन शुरू होता है और मिट्टी पर ही ख़तम हो जाता है। आइये पढ़ते हैं ( Mitti Ki Mahima Par Kavita ) मिट्टी की महिमा पर कविता “हाँ मैं मिट्टी हूँ” :-

मिट्टी की महिमा पर कविता

मिट्टी की महिमा पर कविता

हाँ मैं मिट्टी हूँ।
मैं ही रोड़ी, बजरी,गिट्टी हूँ।
मैं ही सभी का रक्त,
सभी का आँसूं हूँ,
सभी के देह की हड्डी हूँ।
जी हां मैं मिट्टी हूँ।

किसने कहा मैं निर्जीव हूँ।
मैं भी साँस लेती हूँ।
मैं भी धड़कती हूँ।
मैं भी सहती संताप हूँ।
मुझे भी होता दर्द है।
जी हां मैं मिट्टी हूँ।

अगर नहीं तो तुम बताओ,
मानव अस्तित्व क्या है।
कहाँ से तुम सब आये।
मैंने तुम्हारा अंकुर बोया,
मैं तुम्हारी उत्पत्ति हूँ।
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।

मैं ही शून्य, मैं ही अनंत हूँ।
मैं ही आदि, मैं ही अंत हूँ।
मैं ही जड़, मैं ही चेतन हूँ।
पत्ती, फूल, शाख,तना मैं हूँ।
मैं ही घास, मैं ही वृक्ष हूँ।
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।

मैं दबी हुई हूँ बोझ तले,
हर प्राणी जिस गोद पले।
तुम सबने है छला मुझे,
फिर भी है गुरुर तुझे।
मैं तुम सबकी माँ भी हूँ।
जी हां मैं मिट्टी हूँ।

मैंने न हिन्दू,न हिंदुस्तान बनाया।
न मुसलमान न पाकिस्तान बनाया।
धर्म,मजहब, जाति को परे रख,मैंने
प्राण फूंक बस इंसान बनाया।
कुछ खट्टी, कुछ मीठी,कुछ तीखी हूँ
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।

जिसे मैंने बनाया था,
वह आज कट रहा है।
आपस में बंट रहा है।
आक्रोश में लड़ मर रहा है
मैं सबसे बड़ी, मैं ही छोटी हूँ।
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।

मैं सहती अकाल बर्फ पाला हूँ।
झेलती बारिश, सर्द ओला हूँ।
तुम सबकी परस्पर नफरतों से,
सहती अनगिन बारूद गोला हूँ।
मैं कुछ हरी, कुछ सूखी हूँ।
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।

मैं अन्नदात्री, मैं जन्मदात्री हूँ।
क्यूँ अहम लोभ तू करता है,
जब मैं ही मुक्तिदात्री हूँ।
तेरी सृजन कर्ता भी मैं
तेरी रूह का अंत मैं ही हूँ।
जी हां मैं मिट्टी हूँ।

चाहे जलो या दफन हो,
आधार सबका मैं ही हूँ।
मैं न किसी से प्रशन्न हूँ।
न ही किसी से रूठी हूँ।
क्योंकि सबकी नजरों में
मैं तो बस एक मिट्टी हूँ।
जी हाँ मैं मिट्टी हूँ।


हरीश चमोलीमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

( Mitti Ki Mahima Par Kavita ) “ मिट्टी की महिमा पर कविता ” के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *