बेवफा शायरी दो लाइन ( Bewafa Shayari 2 Lines ) – प्रिय पाठकों, जीवन का सबसे कठिन समय होता है जब इंसान को प्यार में बेवफाई नसीब होती है तो उसी बेवफाई को बयाँ करती, दिल को रुलाने वाली बेवफा शायरी ,प्यार में मिले धोखे पर लिखी शायरी पढ़िए –
बेवफा शायरी दो लाइन
1.
न जाने इश्क़ की दहलीज, इतनी नरम क्यूँ होती है।
जो कदम रखता है बस, इश्क़ में फिसल जाता है।
2.
क्या हम इतने बुरे निकले, कि छोड़ गया वो शक़्स
जो कभी हमें अपनी जान कहकर, शान समझता था।
3.
न जाने बेमौसम आज ये, कैसी बरसात हुई है।
जो कुछ भी मेरा था,सब कुछ बहा ले गयी है।
4.
न जाने मेरे हिस्से की खुशियाँ, भगवान ने कहां छुपाई हैं।
कि दिल में उतरी जो भी मोहब्बत, आज हुई फिर पराई है।
5.
तुझे चाहने वाले बहुत मिलेंगे, जो तेरा दीदार करें।
लेकिन हमसा न मिलेगा तुझे ,जो बस तुझसे प्यार करे।
6.
मेरे इश्क़ की न जाने, कैसी आजमाइश हो रही है।
बेवाफ़ाओं के शहर में फिर, मेरी ही नुमाईश हो रही है।
7.
लुटा दिया अपना सब कुछ, मैने उसकी खातिर।
कभी अपना खुदा मानकर, पूजा है जिसे मैंने।
8.
तेरी मोहब्बत में कुछ, ऐसे काम कर जाएंगे।
तू खुश रहेगी लेकिन, हम बदनाम हो जाएंगे।
9.
इश्क़ के बाजार में आज, मोहब्बत की लगी है सेल भारी।
सुना है मोहब्बत के साथ, बेवफाई मुफ्त मिल रही है।
10.
आसमाँ भी आज मेरे साथ, खूब खुलकर रोया है।
क्योंकि उसे पता है कि आज, मैंने क्या खोया है।
11.
व्यस्त हूँ अभी काम में, बस सिसकीयाँ निकल रही हैं।
खुली पलकों के नीचे कुछ, पानी की बूंदें मचल रही है।
12.
उसे हमारे प्यार पर भरोसा था, मगर इंतजार न गवारा था।
और मैं पागल वर्षों से उसके लिए, बस यूं ही आवारा था।
13.
बेइज्जत सा हो गया हूँ, आज खुद की ही नजरों में
जब आज उसने मुझे, इक बहाने से छोड़ने की बात की।
14.
उनकी हमसे मोहब्बत, इतनी भी क्या कम थी ।
कि हम रोते रहे रातभर, और उनकी आंखें ज़रा भी न नम थी।
15.
मजबूरियों का हमें ये, कैसा सबब मिला है।
जिसे इतना चाहा, उसी से शिकवा-गिला है।
16.
कितना आसान होता है किसी को टूटकर चाहना
और उससे ज्यादा मुश्किल होता है,उनसे दूर जाना।
17.
न जाने वो अब, कहाँ मशगूल हो गए हैं ।
जिसे चाहा इतना, वही हमें भूल गए हैं ।
18.
सुना है प्यार में अक्सर, कई कसमें और वादे होते हैं।
लेकिन उन वादों पर जो कायम रहे, वही हमेशा रोते हैं।।
19.
इस तरह तुमने मुझसे आज, बेवफाई कर दी
जिस तरह बारिश ने, धूल की सफाई कर दी ।
20.
तुम्हारी मुहब्बत का, इस कदर बुखार आया मुझे
कि जबसे मिले हो, बस तुम्हारा ही प्यार भाया मुझे।
21.
तुमने इस कदर जिंदगी से, बेदखल किया मुझे
जैसे मैं तुम्हारा कोई, अनचाहा हिस्सा रहा हूँ कभी।
22.
नहीं डगमगाते पैर उनके, मोहब्बत की राहों पर
जिन्होंने प्यार के दर्द को भी, दिल से जिया है।
23.
छोड़ दिया मुझे, ये तो बताओ कि मैंने क्या गुनाह किया।
शायद यही कि, प्यार हमने तुम्हे, दिल से बेपनाह किया।।
24.
सुना है शराब, बर्बादी का सबब होती है
किन्तु मेरी बर्बादी का सबब तो, तुम हो।
25.
कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें, हमारे रोने से अभी
जो शख्स हमारे रूठने पर, बेहद रोता था कभी।
26.
न जाने कितनी फूंक मारी हैं, उन्होंने हमारे घावों पर
और उसी फूंक से उड़ा दिया आज, अपनी जिंदगी से हमें ।।
27.
जिन्हें हमारे रूठने -रोने से, कोई फर्क नहीं पड़ता है
उनके लिए क्यों ये मोहब्बत,और भी गहरी होती है।
28.
मोहब्बत कोई शान नहीं,कोई ईमान नही होती।
यह तो बस दो प्रेमियों का अरमान होती है।
29.
उनकी याद में फिर पूरी रात, तकिए पर रोते रहे हम
फिर रोते-रोते पता ही नहीं चला, कब आंख लग गयी।
30.
न जाने क्या कसूर था हमारा, जो ये सजा मिली।
सच्ची मोहब्बत तो की थी, फिर क्यूँ दगा मिली।।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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धन्यवाद।
बहुत दर्द भरी शायरी है आपकी। बहुत लोगों के दिलों का दर्द लिख दिया आपने ।
मणि जी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार और धन्यवाद………….