कुछ बातें अधूरी रह जाती हैं। जब कोई अचानक बिछड़ता है। उस वक़्त जिंदगी में बस दो ही चीजें बचती हैं। या तो अश्क बहाए जाएँ या फिर उसे समझाया जाए कि हमारी जिंदगी उसके बिना कितनी अधूरी है। ज़हन में एक अजीब सी कशमकश चलती रहती है। वो क्या होती है आइये जानते हैं हरीश चमोली जी की ( Nazm On Ishq ) इश्क़ पर नज़्म ” समझाया जाए क्या ” :-

इश्क़ पर नज़्म

इश्क़ पर नज़्म

बिछुड़न में अश्कों को और बहाया जाए क्या?
मेरी फिक्र नहीं जिसे उसे समझाया जाए क्या?

झगड़ा कर वो हासिल हो तो झगड़ा ही बेहतर,
गर नहीं तो फिर ये चिराग बुझाया जाए क्या?

खोल दें मन्नत के धागे जो हमने थे कभी बांधे,
अब उलझनों को प्यार से सुलझाया जाए क्या?

यूँ तो उसने कह दिया कि तुम्हारे नहीं हैं हम,तो
फिर वफादारी से खुद को झुठलाया जाए क्या?

और खुद ही मुझे शायद पाना नहीं चाहती वो,
तो दिल को इश्क़ में और तड़पाया जाए क्या?

वो जानती है,कि क्या-क्या न किया उस खातिर,
अब खुद को और भी नीचे गिराया जाए क्या?

यूँ तो जद्दोजहद की सभी हदें पार कर ली मैंने,
तो अब खुद को ही इश्क़ में मिटाया जाए क्या?

पढ़िए :- दूर हो जाने पर कविता “इस तरह छोड़ो मत मेरा साथ तुम”


हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

“ इश्क़ पर नज़्म ” ( Nazm On Ishq ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply