आज पूरा विश्व एक महामारी “कोरोना” से जूझ रही है इसी सन्दर्भ में पढ़िए हरीश चमोली जी की हिंदी कविता कैसी आयी महामारी :-
हिंदी कविता कैसी आयी महामारी
मानवता में देखो यह कैसी आयी महामारी?
छुआछूत की बीमारी यह,प्रचंड रूप है धारी।
करके कैद,घर में खुद को,बच पायेगा जन-जन,
एक बार घर में फिर आयी,दीप प्रज्वलन की बारी।
महामारी को जड़ से मिटाना,हो संकल्प हमारा।
खत्म करें बीमारी जिसने ,भारत में है पैर पसारा।
सुख समृद्ध हो भारत फिर से,यह है जिम्मेदारी,
एक बार घर में फिर आयी,दीप प्रज्वलन की बारी।
रूस,यूरोप,अमेरिका में भी,कोरोना ने पैर पसारे।
करेंगे जतन हम सब ऐसा,कि कोरोना ही बस हारे।
भारत को स्वस्थ बनाने हित,हम देंगे भागीदारी।
एक बार घर में फिर आयी,दीप प्रज्वलन की बारी।
थाली,चम्मच बजाकर फिर,सेवकों का मान बढ़ाएं।
आदेश मानकर मोदी जी का,देश की शान बढ़ाएं।
हम दूर भगाकर ही रहेंगे,जो चीन से आयी बीमारी।
एक बार घर में फिर आयी,दीप प्रज्वलन की बारी।
पढ़िए :-हास्य कविता “कोरोना और आप” | Hasya Kavita Corona Aur Aap
मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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