दूर हो जाने पर कविता

दूर हो जाने पर कविता

मेरे सपनों को तुम,इस तरह तोड़ो मत।
अपना रुख तुम कहीं,और मोड़ो मत।
कि मर जायेंगे हम,अब तुम्हारे बिना
मेरा साथ तुम यूँ,इस तरह छोड़ो मत।
क्यूँ पागल बनाया,था तुमने मुझे
गर जाना ही था तो,क्यूँ लगाई ये लत।
सुनलो मेरी गुजारिश,तुम न जिद्दी बनों
यूँ कहीं और अपना,दिल जोड़ो मत।

फासला था जरा सा, हमारे दरमियाँ।
दूर होकर भी थे पास,न थे हम तन्हां।
तोड़कर मेरा दिल,क्यूँ गए छोड़कर
न तुम खुश हो वहाँ न मैं खुश यहाँ।
वक्त कटता है कैसे,आ बताऊँ तुझे।
सुबह शाम पढ़ता,हूँ तेरे ही खत।
सुनलो मेरी गुजारिश,तुम न जिद्दी बनों
यूँ कहीं और अपना,दिल जोड़ो मत।

हाल-ए-दिल मैं सुनाऊं,तुमको कभी।
संजोये हूँ दिल में, तेरी वो यादें सभी।
न ढा यूँ सितम कि,कुछ कर जाऊँ मैं
बन जाओ मेरी या ,मैं मर जाऊँ अभी।
मान जाओ बात मेरी,अब बस भी करो
न ठुकराओ मेरी, ये बेदाग मोहब्बत।
सुनलो मेरी गुजारिश,तुम न जिद्दी बनों
यूँ कहीं और अपना, दिल जोड़ो मत।

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हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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