मनहरण घनाक्षरी में लिखी हरीश चमोली जी की ( Fagun Maheene Par Kavita ) फाल्गुन पर कविता “फागुन महीना आया” :-

फाल्गुन पर कविता

फाल्गुन पर कविता

फागुन महीना आया
होली भी है साथ लाया
झूम-झूम सब मिल
खुशियां मनाइये।

गुब्बारे में रंग भर
गिलास में भंग भर
यहां-वहां घूम फिर
गुलाल उड़ाइये।

पिचकारी तनके तू
डाल पानी की बौछार।
नफ़रतें दूर कर
प्रेंमता फैलाइये।

त्योहारों से भरे इस
हिंदुस्तान को नमन।
अनेकता में एकता
सबको दिखाइये।

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हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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