Janmdin Par Kavita – हरीश चमोली जी की जन्मदिन पर कविता ” जन्मदिन मनाता चल ” :-

जन्मदिन पर कविता

जन्मदिन पर कविता

खुश रह तू ईश्वर के बंदे,
जन्मदिन मनाता चल।
जीवन की बढ़ती उम्र में,
अपनी आयु घटाता चल।

जी रहा है किस अहम में
खाली हाथ तो जाना है।
अपनों का संसार है पर,
दरअसल यह बेगाना है।

क्या मेरा है क्या तेरा है,
इसमे वक़्त न जाया कर।
बुरा न होवे कभी किसी का,
यही सोच घबराया कर।

जीवन जीना ऐसे जैसे,
गीता का सार इसी में हो।
अपनी खुशी का राज यहाँ
बसा दूजे की खुशी में हो।

अपने हाथ से करले बन्दे,
अमिट भलाई करते चल।
धर्म की राह पकड़ सदा ही,
असत्य से तू डरते चल।

कर सत्कर्म आज में अपने
यही साथ ले जाता चल।
खुश रह तू ईश्वर के बंदे,
जन्मदिन मनाता चल।

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रचनाकार का परिचय

हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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