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Hindi Ghazal Achha Hai
हिंदी ग़ज़ल अच्छा है

Hindi Ghazal Achha Hai

मुझे हर रोज न तू तड़पाया कर,
क्या तिल तिल मरना अच्छा है?

मुझसे इश्क़ कर  तो ऐसे कर,
कि लगे हद से गुजरना अच्छा है।

लबों पे आई बात अब कह भी दे,
क्या हर बार यूँ डरना अच्छा है?

और भी लाखों चेहरे हैं दुनियाँ में,
फिर भी तुम पर ही मरना अच्छा है।

वादा तो इक़ भी निभा न तुमसे,
अब क्या जुमलेबाजी करना अच्छा है?

इक़ अर्सा इंतजार कर देख लिया,
अब गैरों के लिए संवरना अच्छा है।

नियाग्रा देखना इक़ सपना था तेरा,
अब मसूरी केम्पटी झरना अच्छा है।

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रचनाकार का परिचय

हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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