ग़ज़ल – सरकार देख लो | अंशु विनोद गुप्ता जी की बेहतरीन ग़ज़ल

आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल – सरकार देख लो :- ग़ज़ल – सरकार देख लो होठों पे चुप लगाए है सरकार देख लो। चारों तरफ़ है आग की भरमार देख लो। कुछ लोग छोड़ आए हैं फूलों की घाटियाँ, केसर के बाग़ अब भी हैं गुलज़ार देख लो।…

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हिंदी भाषा के महत्व पर कविता :- हिंदी को ही भूल गया है | Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं विनय कुमार जी द्वारा रचित ( Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Kavita ) हिंदी भाषा के महत्व पर कविता :- हिंदी भाषा के महत्व पर कविता उर्दू से परहेज नहीं, अंग्रेजी लगता प्यारा । हिंदी को ही भूल गया है, हिंदुस्तान हमारा । बोलो सा रा…

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बसंत ऋतु पर कविता :- देखो आ गयी बसंत | Basant Ritu Kavita In Hindi

आप पढ़ रहे हैं रेणु शर्मा जी द्वारा रचित बसंत ऋतु पर कविता ( Basant Ritu Kavita In Hindi ) "देखो आ गयी बसंत" बसंत ऋतु पर कविता दुख का होता अंत ,, देखो आ गयी बसंत ।। खिल रहे है फूल बागान ,, करती नदिया कलकल।। चहुँओर किलकारियाँ ,…

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पति पत्नी पर हास्य कविता :- कभी बेलन चलाती है | Pati Patni Funny Poem

पति पत्नी पर हास्य कविता ( Pati Patni Hasya Kavita ) आधारित है ऐसे पति-पत्नी पर जिसमें पति पत्नी से परेशान है। जो लोग शादी के सपने देखते रहते हैं उनके लिए एक उपदेश जैसी है यह शादी पर हास्य कविता । कैसे? आइये पढ़ते हैं इस पति पत्नी पर…

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हिंदी कविता : भोग | यह भोग क्या | Hindi Kavita Bhog

आप पढ़ रहे हैं पंकज कुमार द्वारा रचित हिंदी कविता : भोग :- हिंदी कविता : भोग यह भोग क्या है सोच क्या? संयोग नास्तिक है रोग क्या? जीवंत शाखा टूटती सममूल ही तोड़ती, अधर्म नाता है हुआ कालिख मुंह में पोतती। सत्य का निष्पक्ष पुजारी कैसे दुर्बल हुआ, अहिंसा…

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हिंदी कविता – कंपन्न | कम्पन्न बन के श्वास से

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता - कंपन्न हिंदी कविता - कंपन्न कम्पन्न बन के श्वास से चीखें सुनायी काल, है रात्रि का विष वेला यहाँ होती प्रभा बिछायी जान। नवचेतना है आयी अभी लिपटी हुयी अदृश्यनाल, निज आशियाँ निर्मित यहाँ है दंभ निति उसकी चाल। बनते मुसाफिर है यहाँ…

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शहीद सैनिक पर कविता :- जब तक जिंदा था सैनिक | Shaheed Sainik Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं शहीद सैनिक पर कविता ( Shaheed Sainik Par Kavita ) "जब तक जिंदा था सैनिक" :- शहीद सैनिक पर कविता   जब तक जिंदा था सैनिक, वह देश की सरहद पर ही रहा। अपने परिवार को देख सके, उसे इतनी फुर्सत मिली कहां। इस देश की…

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हिंदी कविता – दरिद्रता | यह कैसी दरिद्रता

गरीबी एक ऐसी चीज है जो जीवन को दुखद बना देती है। इसी विषय पर प्रस्तुत है हिंदी कविता - दरिद्रता :- हिंदी कविता - दरिद्रता यह कैसी दरिद्रता?मानव स्तब्धउदर रिक्तअचंभा जेब कापड़ा सूखा पत्ता,कैसा ईश्वरकृत। संतान ईश्वर कीभाग्य खाली,यह कैसी प्रीतलपटने को चीथड़ा कंबल,निद्रा पूरी कैसेजब मौसम शीत। अषाढ़…

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Poem For Wife In Hindi | पत्नी की तारीफ कविता | Patni Ke Liye Kavita

Poem For Wife In Hindi - आप पढ़ रहे हैं पत्नी की तारीफ में पत्नी के लिए कविता "मैं ऋणी रहूँँगा सदा तेरा" :- Poem For Wife In Hindiपत्नी के लिए कविता मैं ऋणी रहूँँगा सदा तेरा,तेरा मुझ पे है उपकार बड़ा।वो शब्द कहाँ से लाऊँ मैं,जो बता सके उद्गार…

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कागज कलम की तकरार कविता :- जब कलम ने बोला कागज से

कागज कलम की तकरार कविता ( Kagaz Kalam Ki Takraar Kavita ) - जहाँ प्यार होता है वहां तकरार भी हो ही जाती है। फिर रूठना-मनाना भी होता है। ऐसा होता है तो इंसानों के बीच। लेकिन एक कलम और कागज में कैसे तकरार हो सकती है आइये पढ़ते हैं…

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बकरे पर हिंदी कविता :- बकरा जमीं पर चला है

आप पढ़ रहे हैं बकरे पर हिंदी कविता :- बकरे पर हिंदी कविता जन्म बकरी ने बकरे को दिया भला, उठ खड़ा होकर बकरा जमीं पर चला है। उछले कूदे शरारत करे रात दिन बकरी रह न सके अपने बच्चे के बिन, दूध पिलाती सहलाती बड़े प्यार से कहती जाना…

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हिंदी कविता – दग्ध | उम्मीदों की नाव खोजता

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता - दग्ध हिंदी कविता - दग्ध उम्मीदों की नाव खोजता किन्तु मिला दग्ध। प्रभात की कपाट खोलता गया परन्तु मिला अंधकार दग्ध।। निज स्वार्थ का पतन करता गया किन्तु प्रसाद लोभ दग्ध । आलस्य की नगरी मिति नहीं कायम रहा विश्व दग्ध।। नेत्र ही…

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