आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल – सलामत रहे आशियाना तुम्हारा :-
ग़ज़ल – सलामत रहे आशियाना तुम्हारा
इशारे से छत पर बुलाना तुम्हारा।
मुझे देखकर लौट जाना तुम्हारा।
मुहब्बत अगर है तो इज़हार कर दो
चलेगा न कोई बहाना तुम्हारा
शबे-ग़म का मातम न लब पे शिकायत
मिज़ाजे-मुहब्बत शहाना तुम्हारा।
मैं अदना- सा शाइर मेरे सामने ही
ग़ज़ल एक उम्दा सुनाना तुम्हारा।
मेरे रास्तों से सदा चुनके काँटे
गुलाबों की कलियाँ बिछाना तुम्हारा।
बजे रहते क्या मेरी सूरत पे बारह
बिना बात ही खिलखिलाना तुम्हारा।
ज़माने की बंदिश से आज़ाद होकर
सितम ज़िन्दगी के उठाना तुम्हारा।
कभी याद मुश्किल में मेरी जो आए
मैं हाज़िर रहूँगा दिवाना तुम्हारा।
बुरा तुम मनाते अगर हम भी करते
बिना ही पढ़े ख़त जलाना तुम्हारा।
वतन वासियों “अंशु” अरदास करती
सलामत रहे आशियाना तुम्हारा।
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अंशु विनोद गुप्ता जी एक गृहणी हैं। बचपन से इन्हें लिखने का शौक है।नृत्य, संगीत चित्रकला और लेखन सहित इन्हें अनेक कलाओं में अभिरुचि है। ये हिंदी में परास्नातक हैं। ये एक जानी-मानी वरिष्ठ कवियित्री और शायरा भी हैं। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें “गीत पल्लवी “, दूसरी पुस्तक “गीतपल्लवी द्वितीय भाग एक” प्रमुख हैं। जिनमें इनकी लगभग 50 रचनाएँ हैं।
इतना ही नहीं ये निःस्वार्थ भावना से साहित्य की सेवा में लगी हुयी हैं। जिसके तहत ये निःशुल्क साहित्य का ज्ञान सबको बाँट रही हैं। इन्हें भारतीय साहित्य ही नहीं अपितु जापानी साहित्य का भी भरपूर ज्ञान है। जापानी विधायें हाइकु, ताँका, चोका और सेदोका में ये पारंगत हैं।
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