हिंदी कविता वार्ड में | Hindi Kavita Ward Me
आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता वार्ड में :- हिंदी कविता वार्ड में क्या ख़ुशनुमा थी ज़िंदगी पर अचानक यूँ तारीकियाँ बटोरने की जुगत में लड़खड़ाते हुए ज़िंदगी की फिसलन में अपने जज़्ब में ही जाकर गिर जाना ग़म-ए-दौरां लिए हुए कदमों का मायूसी में अनायास ही धँस जाना फिर एक दलदली मिट्टी…