आप पढ़ रहे हैं ( Kavita Pyari Nanhi Pari ) कविता प्यारी नन्ही परी :-
कविता प्यारी नन्ही परी
नन्ही परी है मां की छाया
हमेशा रहती मां का साया
संसार दुनिया को रचती है
अद्भुत होती इसकी माया
छोटी सी है काया।
तन मुट्ठी में समाया।
बंद आंखें करे पुकार।
मै भी देखूं जग की माया।
मां मैं नही बनुंगी बोझ।
चारों ओर करूंगी ओज।
बनु परिवार की खैवनहार
मां शिक्षा से भर दे जोश।
बेटी होती है घर की शान।
मर्यादाओं का रखती है ध्यान।
तीन परिवारों को देती है ज्ञान।
इसलिए बेटी की शिक्षा को दो सम्मान।
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