हिन्दी कविता राष्ट्र धर्म के प्रबल प्रताप | Kavita Rashtra Dharm

आप पढ़ रहे हैं हिन्दी कविता राष्ट्र धर्म :-

हिन्दी कविता राष्ट्र धर्म

हिन्दी कविता राष्ट्र धर्म

राष्ट्र धर्म के प्रबल प्रताप के हो ताप आप,
भारती के मान के गुमान को बढाइये ।
पुण्य कर्म पाल, हे वसुंधरा के लाल ज्वाल,
वीरता से युक्त स्वाभिमान को बचाइये ।।

संघर्ष के उत्कर्ष से आदर्श को प्रमाण दे,
उत्थान हो इस देश के वितान को सजाइए ।
सदभाव के प्रभाव में अशोक चक्र में जुड़े,
वो चारो सिंहराज मूर्तिमान को जगाइए ।।

चुनौतियों के दंश को विध्वंस कीजिए सदा,
भगाइये आलस्य व प्रमाद के विषाद को ।
जगो जगाओ देश को व राष्ट्र को समाज को,
मिटाइए कुरीतियों के द्वंद्व के विवाद को ।।

परम पुनीत पावनी वसुंधरा सुहावनी,
तो आइए बढ़ाइए इस देश के संवाद को ।
धर्म हेतु रौद्र रुप का स्वरूप धारिए,
सदा मिटाइए किसी भी दुष्ट के उन्माद को ।।

प्रचण्ड मार्तण्ड की अखंड ज्योति ज्वाल से,
विशाल विश्व भारती का भाल पूजते चलो ।
उठो धरा के लाल, लाल रक्त लो उबाल,
लेके वीरता की आरती के थाल पूजते चलो ।।

अस्त्र शस्त्र और ढाल, करो चंडिका का ख्याल,
उन सशक्त शूरवीरों की मिशाल पूजते चलो ।
मोह से विमुक्त देशप्रेम से हो युक्त,
भरके जोश में उदघोष महाकाल पूजते चलो ।।

देश के जाज्वल्यमान स्वाभिमान के लिये,
समर्थ शक्ती का सदा प्रमाण पूजते चलो ।
हे देशप्रेम के सशक्त भक्त, लोभ से विभक्त,
साज बन समाज का परिधान पूजते चलो ।।

मयंक के भी अंक में कलंक क्लेश शेष है,
शीतल प्रकाश पुंज का अभियान पूजते चलो।
चुनौतियां स्वीकार, श्रम की साधना अपार,
निःस्वार्थ कर्म धर्म का बखान पूजते चलो ।।

हे कर्णधार नौनिहाल देश के भविष्यकाल ,
ऊर्जा उमंगति हुई उफान पूजते चलो ।
मातृभूमि के परम प्रभुत्व को निखार यार,
शौर्य को श्रृंगार के समान पूजते चलो ।।

चाह है, उछाह है औ प्रेम का प्रवाह है,
उन्नति की हर गति का गान पुजते चलो ।
निबाह लो तुम त्याग के अनुराग के अनुबंध को,
विशुद्धता से भारती का मान पूजते चलो ।।

व्यक्ति में विशेषता के तत्त्व का प्रभुत्व हो,
प्रभुत्व में विचार संस्कार पूजते चलो ।
संस्कार नित्य सत्य है, ए आचरण ही तथ्य है,
ए तथ्य के निखार से व्यवहार पूजते चलो ।।

व्यवहार में परिवार का पुनीत प्रेम भाव हो,
उस भाव के प्रभाव का आधार पूजते चलो ।
तो पूजते चलो स्वयं के कर्म से महान धर्म,
धर्म से परिवार का श्रृंगार पूजते चलो ।।

पढ़िए :- राष्ट्रीय एकता पर कविता | चलों हम एक समझौता कर लेते हैं


रचनाकार  का परिचय

जितेंद्र कुमार यादव

नाम – जितेंद्र कुमार यादव
धाम – अतरौरा केराकत जौनपुर उत्तरप्रदेश
स्थाई धाम – जोगेश्वरी पश्चिम मुंबई
शिक्षा – स्नातक

“ हिन्दी कविता राष्ट्र धर्म ” ( Hindi Kavita Rashtra Dharm ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *