हिंदी कविता वार्ड में | Hindi Kavita Ward Me

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता वार्ड में :-

हिंदी कविता वार्ड में

हिंदी कविता वार्ड में

क्या ख़ुशनुमा थी ज़िंदगी
पर अचानक यूँ
तारीकियाँ बटोरने की जुगत में

लड़खड़ाते हुए ज़िंदगी की फिसलन में
अपने जज़्ब में ही जाकर गिर जाना

ग़म-ए-दौरां लिए हुए कदमों का
मायूसी में अनायास ही धँस जाना

फिर एक दलदली मिट्टी में खुद को
गर्दन तक डूबते हुए देखना

साँसो का घनत्व कम होता हुआ
आखों का अंधेरा सघन होता हुआ

नसों में उतरती हुई दवा की गरमाहट
छाती में डूबती हुई हवा की सरसराहट

पास रखे एक्स रे बॉक्स पर फेफड़ों
की एक बदशक्ल का हलफ़नामा

ई॰सी॰जी॰ मशीन पर शाया होते रेखा चित्र
एक आभामंडल अदृश्य रेडीओ किरणों का
शरीर के पोरों से भीतर जाता हुआ

चेहरे पर उभर आती झाइयाँ खुसूसी तौर पर
जितने दिन गुज़ारे यहाँ उसकी गिनती करती हुई
सूखे हुए होंठों का अकल्पनीय बासीपन
पीठ पर पिछली रात के स्वप्नीले घाव
बाजुओं से रीढ़ तक कौंधता दर्द और
सुराही भरी एक ऊब सिरहाने रखी

रह रह कर ऊपर ..
लालटेन नुमा बोतल का सर पर हिलना डुलना
नीचे पेशाब की एक ट्रे और उसपर
क़रीने से चढ़ी हुई पोलिथिन का सांकेतिक इशारा
तारों के ऊपर चढ़े हुए तार गुथे हुए तार उसमें तैरते
करेंट से पूरे वातावरण को वशीभूत करना

बातूनी नर्सों का क़िस्सा जोखा
डाक्टरों के जूते की दस्तक से पसरता मौन
हर घंटे पर परिजनों के
चिर परिचित चेहरों का आसपास मंडराना

लोगों का पूछना अभी कितना वक्त और है ?

किसी का छूना किसी का माथे पर बोसे लेना
किसी का इत्तिहाद में कदमों पर रख जाना
गुलदस्ता सहेज कर
कितना दर्दीला है वार्ड में मंजर

इस सफ़र का एकाकीपन
इंतज़ार बहुत लम्बा है
हथेली में आ जाए वक्त
इस मुग़ालते में हैं , वार्ड में

घड़ी पर नज़र फेरती नज़र
रेज़ा रेज़ा आवाज़ों के दरमियान
नींद का अँगड़ायी लेना
कमरे की रोशनी का मद्धिम होना
फिर किसी टी.वी चैनल की तरह
अचानक लूप छोड़ देना और अंतरिक्ष
में हमारा विलीन हो जाना
वार्ड में ,

मौत की पड़ताल सिर्फ़ इतनी है
कि कुछ कहना था अभी और रह गया
थोड़ी मोहलत और मिलती तो कहते
अब भाषा हमारी नुमाइंदगी ना कर सकेगी
अब हम ग्रामर के पेचोखम से रूखसत हुए
याददाश्त का ज़ोर अब नहीं चलेगा

अपनी मौजूदगी को अब हम
अपनी ग़ैरहाज़िरी से बयान करेंगे
जितना जिए सो जिए अब मरकर जिएँगे
वार्ड में ,

साँसो की नमी को महसूस करते हुए
अलविदा कहने का एक प्रायोजित तरीक़ा है
देखिए कितना सलीका है ।


रचनाकार का परिचय

शशांक शेखर

मेरा नाम शशांक शेखर है, मैं मिर्ज़ापुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 35 वर्ष है । यहाँ दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान से स्नातक की पढ़ायी करने के बाद यहीं के विधि संकाय से एल.एल.बी की पढ़ायी पूरी की । फिर यहाँ क़रीब दस साल से सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहा हूँ । साल 2017 में एडवोकेट ऑन रेकोर्ड की परीक्षा निकाली जिसके बाद यहाँ बहस करने का अधिकार प्राप्त हुआ । कॉलेज के दिनों से कविताओं में दिलचस्पी रही , रिल्के, नेरुदा , मुक्तिबोध , अज्ञेय, फ़ैज़ , गुलज़ार की कविताओं ने प्रभावित किया । सौ से ज़्यादा कविताएँ लिख चुका हूँ । और आगे भी लिखना जारी है ।

“ हिंदी कविता वार्ड में ” ( Hindi Kavita Ward Me ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *