Kavita On Papa In Hindi | पापा के लिए कविता 

Kavita On Papa In Hindi - आप पढ़ रहे हैं पापा के लिए कविता :- Kavita On Papa In Hindiपापा के लिए कविता मेरे लिए मेरा प्यार हैं मेरे पापाईश्वर का दिया हुआअनमोल उपहार हैं मेरे पापा मेरी एक पहचान हैं मेरे पापामेरी मुस्कान हैं मेरे पापामेरी जिंदगी मेरी जान…

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तिरंगा पर कविता – तिरंगा शान से लहरे | Tiranga Par Kavita

तिरंगा पर कविता तिरंगा पर कविता तिरंगा शान से लहरेतिरंगा आन से फहरे। छुपा इतिहास गौरव का,समेटे भाव कुछ गहरे।निगाहों में सभी की मानऔ सम्मान बन ठहरे।अमिट पहचान दे यहविश्व में ऊँचा दिखाई दे,तिरंगा शान से लहरे,तिरंगा आन से फहरे। सजे सिन्दूर माथेभारती के रंग केसरिया ।धवल रंग इसका हैबहाता…

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हिंदी ग़ज़ल समंदर सी आँखें | Hindi Ghazal Samandar Si Aankhein

हिंदी ग़ज़ल समंदर सी आँखें हिंदी ग़ज़ल समंदर सी आँखें समंदर-सी आँखें उधर तौबा-तौबाइधर डूब जाने का डर तौबा-तौबान कर ये, न कर वो, न कर तौबा-तौबायों गुज़री है सारी उमर, तौबा-तौबावो नज़रें बचाकर नज़र से हैं पीतेलगे ना किसीकी नज़र, तौबा-तौबाझुके थे वो जितना, हुआ नाम उतनाथा घुटनों में…

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Swatantrata Diwas Par Kavita | स्वतन्त्रता दिवस पर कविता

Swatantrata Diwas Par Kavita Swatantrata Diwas Par Kavita स्वतंत्र भारत देख रहे हैंआज हम-आप अपने सामने,पर सिद्ध हुआ क्या सपना वोजो देखा था उस हिंदुस्तान ने। कि जिस हिंदुस्तान के वीरहँसकर फंदा चूम गए,हम आप तो यहां दो नृत्य देख बसयूँ ही खुशी से झूम गए,  तो क्यों इस भारत…

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आज़ादी का अमृत गीत | Azadi Ka Amrit Geet

आज़ादी का अमृत गीत आज़ादी का अमृत गीत आज़ाद वतन की माटीअब इतनी खामोश क्यों हैं ?आज़ादी में रहने की,क्या हमको कोई आदत ही नहीआज़ाद चमन है आज़ाद गगन हैपवन भी है आज़ाद अबडर दिल में, भय मन में औरसच कहने की आदत ही नही ।। आज़ादी का पावन पर्वक्यों…

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हिंदी कविता नायक | Hindi Kavita Nayak

हिंदी कविता नायक हिंदी कविता नायक नायक का किरदारजीवन के रंग मंच परशुरू होता हैशुरू से अंत तक, सुख दुःख के संगम मेंनहाकर,धोता है मन के मैल कोहंसाकर,कृष्ण और कंस काराम और रावण काद्रौपदी और दुशासन काराशियां तो एक हैंपर कर्म सोंच में भेद है कर्म ही बनाता हैनायकया फिर…

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रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता | Rakshabandhan Ki Kavita

रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता रेशम का रक्षासूत्र उनकी कलाई में,जो निकल आये हैं घरों सेहाथों में लेकर छिड़काव मशीनहमारें गली मुहल्ला सड़क परसाफ सफाई के लिएताकि हम रह सकेंहर तरह की वायरल जनित वायरस से सुरक्षित, उनके लिए ,जोअपना परिवार छोड़करआ गए है हमलोगों…

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रक्षाबंधन पर कविता | Rakshabandhan Par Kavita

रक्षाबंधन पर कविता रक्षाबंधन पर कविता मैं बहना ,भाई ना मेरे राखी बिकते प्यारे प्यारे राखी आते,मन भर जातेकिसे बांध मैं मन बहलाऊं,कैसे मैं त्योहार मनाऊं। प्रीत की बंधन के धागा कोबांध के टालूं हर बाधा कोकिस भाई को बांध कलाईरिश्तों में विश्वास जगाऊं,कैसे मैं त्योहार मनाऊं। मेरे भी गर भाई होतामैं राखी वह कंगन लाताथाली भर मैं प्यार सजाकर किस भाई पर प्यार लुटाऊं,कैसे मैं त्योहार मनाऊं। छोटा होता प्यार लुटातीआशीर्वाद बड़ा से पातीमीठे मधुर मिठास बढ़ा करकिसको विजया तिलक लगाऊं?कैसे मैं त्योहार मनाऊं। मात- पिता भाई में देखूं बांध गांठ रिस्तें को रख्खूंबिन भाई के जीवन कैसा?खुद को आज पराई पाऊं,कैसे मैं त्योहार मनाऊं। भाई का होना ना होना क्या कर सकती कोई बहनाखुद में खुद को भाई देखूं खुद को खूब मजबूत बनाऊं,अब ऐसे त्योहार मनाऊं। खुद भाई खुद बहना बनकरजीवन जी लूं आगे बढ़करमात पिता अपने में पाकरबेटी बेटा मैं बन जाऊं,अब ऐसे त्योहार मनाऊं। करुं अपेक्षा रक्षा का क्योंअबला से सबला हो ना क्योंइस अन्तर को मैं झुठलाकर खुद की रक्षा खूब कर पाऊं। अब ऐसे त्योहार मनाऊं। पढ़िए :- रक्षाबंधन को समर्पित शायरी संग्रह रचनाकार का परिचय यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से। “ रक्षाबंधन पर कविता ” ( Rakshabandhan Par Kavita ) आपको कैसी लगी ? “…

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पर्यावरण संरक्षण हिंदी कविता | Paryavaran Sanrakshan Par Kavita

पर्यावरण संरक्षण हिंदी कविता पर्यावरण संरक्षण हिंदी कविता एक बार की बात लगाया उस पौधे पर हाथलजाई दूल्हन मानो रातपूछा कैसा शरम हयातमैंने क्या कर दी तेरे साथ? शहमी ठहरी थी कुछ देरफिर वह हल्की भरी हिलोरतन के खड़ी हुई भर जोरतब वह बोली मीठी बोल,मेरा छुईमुई पहचान लाजवंती क्यों…

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आजादी पर हिंदी कविता – तिरंगे को पकड़े | Azadi Par Hindi Kavita

आजादी पर हिंदी कविता आजादी पर हिंदी कविता यहां से वहां तकजहां न तहां तकमुट्ठी को जकड़ेतिरंगे को पकड़े थें निकले दिवानेआजादी को पाने,आजादी में आगेथे आजाद भागे इंकलाब जय कीभारत विजय कीलगते थे नारेगलियों में सारे, सिंहनाद जन जन गरजते थे गर्जनलिए जोश जज्बागली कूच कस्बा आजादी को लानेचले थे दिवाने ,कहानी…

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मुलाकात पर कविता | Mulakat Par Kavita

पढ़िए रामबृक्ष कुमार जी द्वारा रचित मुलाकात पर कविता :- मुलाकात पर कविता चलता गयाचलता रहा मिलता रहाहर लोग से,जीवन सफ़रकटता रहामुड़ता गयाहर मोड़ पे, जितने मिलेजैसे मिलेअपने मिलेंया गैर हो,कहता गयादेता गयाशुभकामनासब खैर हो , आता गया फिर मोड़ थाडगमग डगरका अंत वह,डूबता दिन था अंधेराआंधी चली अब मंद बह, दिखता नहीथा सामनेउठता…

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आंगन पर कविता | बांटों ना आंगन बन्धु | Angan Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं रामबृक्ष कुमार जी द्वारा रचित आंगन पर कविता " बांटों ना आंगन बन्धु " :- आंगन पर कविता बांटों ना आंगन बन्धु! आज तोड़ो ना रिस्तें मधुर आज।  तुलसी सी मां-ममता महकेघर का कोना कोना गमकेजीवन की ज्योति सदा चमकेंबजता है जिसमें प्रेम साज।  बांटों ना आंगन…

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