जुदाई पर कविता | Judai Par Kavita | Poem On Separation
आप पढ़ रहे हैं ( Judai Par Kavita ) जुदाई पर कविता :- जुदाई पर कविता जिन्दा हूँ पर बेजान हो गया हूँबिना तेरे वीरान हो गया हुँ,घर की रौनक खो गई है कहींजैसे सूना मकान हो गया हूँ ।। मौसम है ये इश्क़ मे जुदाई कातुझ बिन सूखा मैदान…