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कविता मेरा देश मेरा मान

मेरा देश मेरा मान

धरती अम्बर सूरज नभ पर
गाते जिसका गान,
अलग अलग जहाँ बोली भाषा
करते सबका सम्मान
मेरा देश मेरा मान,,,

खूब खेली खून की होली
लाल रक्त बहाये है
गुलामी की जंजीरें तोड़ी
आज़ादी का ताज़ बचाये है

बच्चे, बूढ़े और नौजवान
सबने जान जान लुटाये है
सबको एकता की सूत्र मे बांधे
तिरंगा मेरी शान
मेरा देश मेरा मान

हिन्दू, मुस्लिम, सिख्ख, ईसाई
सब मिल जुलकर रहते भाई – भाई
नहीं किसी से बैर यहां पर
बजे खुशियों की शहनाई

कभी उड़े खुशियों के ग़ुलाल
उम्मीदों की दीप जले
सात वचन से फेरे लेते
खुशियों से आँगन मँहके
सूर्योदय होता शंखनाद से
शांति फैले जहाँ
मेरा देश मेरा मान,,

सीना तान सरहद पे खडे है
भारत माँ के लाल
सदा रक्षा का फ़र्ज निभाते
सीने पर गोली खाते
भले ही जाए प्राण
मेरा देश मेरा मान,

लोट रहा सागर चरणों पर
सर पर ताज़ हिमालय
हरियाली का चुनर ओढ़े
भारत माता की जय

कई अनोखे रूप लिए यहां
नारी का इतिहास
यमराज भी जिससे प्राण छुड़ाए
किया नामुमकिन काम
मेरा देश मेरा मान,,

जहाँ सूरज सबसे पहले उगता
पथ्थर भी पूजे जाते है
जिसमे सब है शिश झुकाते
गीता, बाईबिल, और कुरान
मेरा देश मेरा मान,,

घूम कर देखलो पूरी दुनियां मे
न मिलेगा दूजा ऐसा जहाँ,
भारत मेरी आत्मा तिरंगा मेरी जान
मेरा देश मेरा मान,,,


रचनाकार का परिचय

पुष्पराज देवहरेनाम :- पुष्पराज देवहरे
ग्राम :- दोंदे खुर्द रायपुर
पढ़ाई – BA फाइनल, PGDCA
रूचि – कविता लेखन, पढ़न
कार्य – सोशल वर्कर, भीम रेजिमेंट छत्तीसगढ़ गैर राजनीतीक संगठन ब्लॉक सचिव धरसींवा रायपुर,

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धन्यवाद।

This Post Has One Comment

  1. Avatar
    Unnati

    Jay hind. Very beautiful. Thank you so much

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