रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता | Rakshabandhan Ki Kavita

रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता

रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता

रक्षाबंधन पर छोटी सी कविता

रेशम का रक्षासूत्र उनकी कलाई में,
जो निकल आये हैं घरों से
हाथों में लेकर छिड़काव मशीन
हमारें गली मुहल्ला सड़क पर
साफ सफाई के लिए
ताकि हम रह सकें
हर तरह की वायरल जनित वायरस से सुरक्षित,

उनके लिए ,जो
अपना परिवार छोड़कर
आ गए है हमलोगों के परिवार को बचाने
सफ़ेद लिबासों में क़ैद होकर
एम्बुलेंस हॉस्पिटल और हमारें दिलो में

उनके लिए,
जो अपनें बच्चें की फ़िकर छोड़कर
हम सब के लिए खड़े हैं
धूप बरसात आंधी तूफान में
खुले आसमान के नीचें
मुस्कुरातें हँसते हुए
अपनी ड्यूटी निभातें
ख़ाकी वर्दी में बिना डरे सहमे,

इनके कलाई में हम
रेशम का रक्षासूत्र बाँधें
और प्रार्थना करें,’की ईश्वर हर
बुरी बला से इन्हें महफूज़ रखें,
ताकि ये हमारी हिफाज़त करते रहे
विपत्तियों में भेदभाव रहित ऐसे ही हमेशा।।

पढ़िए :- राखी के त्योहार पर कविता ” सूनी है कलाई “


रचनाकार का परिचय

बिमल तिवारी

 यह कविता हमें भेजी है बिमल तिवारी “आत्मबोध” जी ने जिला देवरिया, उत्तर प्रदेश से। बिमल जी लेखक और कवि है। जिनकी यह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है :- 1. लोकतंत्र की हार  2. मनमर्ज़ियाँ  3. मनमौजियाँ ।

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