होली बधाई कविता | Holi Badhai Kavita

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होली बधाई कविता

होली बधाई कविता

बस रंगों का त्योहार हैं होली
और ढंगों का त्योहार हैं होली
मिलजुल जाए आपस में सारे
ऐसा यहीं ईक़ त्योहार हैं होली

करती फिज़ा ज़वान हैं होली
बदलतीं हिज़ा इंसान की होली
धरती अम्बर एक सा करती
करती खिज़ा गुलज़ार की होली

खाते सब क्यूँ हैं भाँग की गोली
करतें उलटी सीधी बात बोली
बेढंगे करतूत से अब अपने
बना दिये त्योहार को बम गोली

ना मत इसको बदनाम करो
बस रंग अबीर के नाम खेलो
ये पर्व हैं प्यार और उन्नति का
बोली जुआ में ना बरबाद करो।।

पढ़िए :- हिंदी होली गीत “तब समझों पर्व ये होली हो” | Hindi Holi Geet


रचनाकार का परिचय

बिमल तिवारी

 यह कविता हमें भेजी है बिमल तिवारी “आत्मबोध” जी ने जिला देवरिया, उत्तर प्रदेश से। बिमल जी लेखक और कवि है। जिनकी यह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है :- 1. लोकतंत्र की हार  2. मनमर्ज़ियाँ  3. मनमौजियाँ ।

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