सफलता के लिए प्रेरित करती कविता
पथिक है अगर तू पथ का
प्रखर धूप में भी चलता चल।
विहग है अगर तू नभ का
ज्ञानी-पंख लगाकर उड़ता चल।।
भीड़ का हिस्सा न बनकर
सफल ढाचे में ढलता चल।
अतीत का किस्सा न बनकर
वर्तमान में परिश्रम करता चल।।
अगर मार्ग कांटो से भरा है
हंसकर चुभन को सहता चल।
विपत्ति जो तूफानों से भरी है
मधुर पवन संग बहता चल ।।
तम के सखा भयभीत करे जो
साहस का हाथ थाम चलता चल।
गतिविधि जो तेरी विफल हुई
विचारधारा अपनी बदलता चल।।
बरसे बारिश जो नील गगन से
शीतल सलिल संग बहता जल।
सफलता भी ढूंढेंगी तुझको
गुणवान तू इतना बनता चल।।
जब अज्ञान भटकाए राह से
सफल किताबों को पढ़ता चल।
सकारात्मक शब्द धारण करके
ज्ञान का उत्साह भरता चल।।
पढ़िए :- प्रेरणादायक कविता भय का मुखौटा उतार
नमस्कार प्रिय मित्रों,
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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