पिता पर कविता – श्रद्धेय पिता जी | Pita Par Kavita

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पिता पर कविता

पिता पर कविता

पूज्य पिता जी की,कोमल छांव को
किन शब्दों में उल्लेख करूँ ।

निर्णय लिया आज जीवन की
पुस्तक के उन,पन्नों को पढ़ लूं ।

प्रतीत ऐसा हो रहा, मैं
अतीत आज, वर्तमान बना लूं ।

वो संकल्पित मार्गदर्शक थे,
भूमिका उनकी,किन शब्दों में बयां करूँ ।

दृढ़ता उनकी,पर्वत जैसी थी
स्नेह शीतलता को,पुनः भर लूं ।

पिता जी मेरे कल्पतरु थे,उनके
समर्पित दायित्व,को याद करूँ ।

उनकी गरिमा के,दिव्य स्वरूप को
जीवन विभूतियों के,गुणगान करूँ ।

वो सफलता निर्माण के,आधारशिला थे
किन शब्दों में, मैं धन्यवाद करूँ ।

सतत उन्हें, नमन करती हूँ
अविरल आशीष से,ओतप्रोत रहूँ ।।

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रचनाकार का परिचय

इली मिश्रा

यह कविता हमें भेजी है इली मिश्रा जी ने।

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1 Response

  1. Avatar Minu Jha says:

    Bohot hi badhia

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