शिव शक्ति कविता – हे शिव,स्वयंभू | God Shiv Shakti Kavita

Shiv Shakti Kavita – आप पढ़ रहे हैं शिव शक्ति कविता – हे शिव,स्वयंभू :-

शिव शक्ति कविता

शिव शक्ति कविता

हे प्रणव..

हे शिव,स्वयंभू
आप अनादि,आप हीं सृष्टि
हे शंकर, परम ब्रह्म
प्राचीन,अर्वाचीन
अर्धनारीश्वर रूप हैं

हे शंकर, हे महादेव
आप निर्विकार,निराकार
जग आपने साकार रचा
शीश गंग,चन्द्र भार लिए
सृष्टि पालनकर्ता हैं….

हे प्रणव प्रणाम आपको…
मानव निर्मित चित्रित चित्रों कों
देख – देख कर अंतस में
कई प्रश्न उठते ही रहते…..

आप मस्तक पर भस्म त्रिपुंड
तिलक लगाते
तन पर बाघम्बर वस्त्र विराजते
माला रूप में सर्प अलंकृत
परन्तु…..
विषधर को,क्यों सम्मानित करते ??

हे सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
यही सत्य है……
या हमारा पूर्ण विश्वास???
हमें आप के इस स्वरूप से
क्या सीख मिलती है…
यह खोज, शोध असंभव है

पढ़िए :- Bhagwan Par Kavita | भगवान पर कविता


रचनाकार का परिचय

इली मिश्रा

यह कविता हमें भेजी है इली मिश्रा जी ने।

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