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हिंदी बाल कविता

हिंदी बाल कविता

आओ जंगल की कहानी सुनो
सदियों बात पुरानी सुनो।

जहाँ रहते थे सभी जीव जंतु
आपस मे मिलजुलकर,
धमाचौकडी करते थे
सब मिलकर दिनभर।

चिड़िया चुं – चुं गाना गाती
नित – दिन सुबह सबको जगाती,
कोयल बोली मे राग सुनाती
मधुर तान से सबको जगाती।

बन्दर मामा सबको नचाते
उछल – उछलकर केला खाते,
झींगुर काका कहानी सुनाते
सबके मन को हर्षाते।

तितली रानी उड़ – उड़ जाती
फूलों के रस को लेकर जाती,
भँवरे एक स्वर मे गुनगुनाते
छत्ते मे फूलों के रस भर जाते।

घूमर घूमर कर बादल आते
छम – छम करके बून्द बरसाते,
वर्षा की बौछार को देख
मोर अपना पँख फैलाते।

कल कल करके नदियाँ बहती
सर सर करके पवन चलती,
झरने गिरते झर – झर
जाकर सागर संग मिलती।

देख प्रकृति का यह नज़ारा
मन भावन लगे सबको प्यारा,
हरियाली का चुनर ओढ़े धरा
मह मह करता जगसारा।

रंग बिरंगा रहता अम्बर
बादल झूम उठता नभ पर,
इन्द्र धनुषी छटा बिखरती
धरा पर रवि की रौशनी उतरती।

खुशियों के इस जंगल में
मातम सा माहौल छा गया,
मानव के लालसा का तूफान
सारी खुशियाँ बहा गया।

निर्मम पेड़ों को काटा गया
जंगल को उजाड़ा गया,
जीव जंतु बिखरते गए
सबके घर उजड़ते गए।

उधर – उधर सब भागे फिरते
भूख से बिलखते गिरते – पड़ते,
आँखों मे धूमिल सा छाया
जंगल से सब हुए पराया।

जंगल को उजाड़ कारखाने बनाये
मानव बड़ी – बड़ी मकानें बनाये,
नदियों तालाबों को सूखा किया
बड़े – बड़े विशाल खदाने बनाये।

रेल बनाये जहाज बनाये
बारूदी हथियार बनाये,
हुए आपस मे युद्ध भयंकर
जंगल को श्यमशान बनाये।

कहीं मदारी बंदर नचाता
कहीं सपेरा बिन बजाता,
गुलामी के पिंजरे मे कैद हो गए
मानव जीवों को व्यापार बनाता।

क्यों लालसा ने मानव को
इतना अंधा बना दिया,
सबकुछ सोच समझने वाला
अपनों का जीवन मिटा दिया।

यह कहानी बच्चों हमको
यह सीख बतलाती है,
आपस मे मिलजुलकर रहना
प्रकृति हमें सिखलाती है।

आओ बच्चों मिलकर प्रण करें
जीवन खुशहाल बनायेंगे,
मिलजुलकर सब पेड़ लगाएं
हरियाली पहुचायेंग।

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रचनाकार का परिचय

पुष्पराज देवहरेनाम :- पुष्पराज देवहरे
ग्राम :- दोंदे खुर्द रायपुर
पढ़ाई – BA फाइनल, PGDCA
रूचि – कविता लेखन, पढ़न
कार्य – सोशल वर्कर, भीम रेजिमेंट छत्तीसगढ़ गैर राजनीतीक संगठन ब्लॉक सचिव धरसींवा रायपुर,

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