हिंदी कविता अजीज परिंदा | Hindi Kavita Azeez Parinda
आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता अजीज परिंदा :- हिंदी कविता अजीज परिंदा पिंजरे में पंख फड़फड़ाता परिंदा था। रहने को साथ मिरे,घबराता परिंदा था। दस्तक देता जब मैं,उसके पिंजरे पर, देख,दरवाजा खड़खड़ाता परिंदा था। पंछी को अक्सर मैं ही दाना देता था, मुझे कहकर जान, चिढ़ाता परिंदा था। राब्ता…