आप पढ़ रहे हैं ( Sahas Par Kavita ) साहस पर कविता “डर को नहीं करना स्वीकार”

साहस पर कविता

साहस पर कविता

डर को नहीं करना स्वीकार
जीवन को जी भर के जीना।
“लोग क्या कहेंगे” यह प्याला
मर मर कर नहीं तुम पीना।।

साहस को कैद नहीं करना
अपने हुनर का करना प्रचार।
लोग प्रभावित हो तुझसे
ऐसा रखना अपना व्यवहार।।

आत्मविश्वास करके धारण
निडर होकर तुम बढ़ते रहना।
आचरण स्वच्छ बना करके
मृदुल पवन सा सदैव बहना।।

जग मे नहीं जो विफल करे
मानव की प्रबल इच्छाओं को।
ब्रह्माण्ड भी करता है सहयोग
जो ह्रदय से चाहता स्वप्नो को।।

निरंतर परिश्रम करते रहना
एक पल नही करना आराम।
लक्ष्य को न कभी मिटने देना
चाहे जो भी फिर हो अंजाम।।

अपने अनमोल विचारों को
भीतर दफन नहीं होने देना।
अपनी प्रखर प्रतिभाओं को
आलस्य में नहीं खोने देना।।

संकल्प लो सफल होने का
विपत्तियों से न होना भयभीत।
ज्ञान रक्त में भर लेना तुम
अन्त में तुम्हारी ही होगी जीत।।

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नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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