कविता जीवन माँ का दर्पण | Kavita Jeevan Maa Ka Darpan

कविता जीवन माँ का दर्पण - कविता जीवन माँ का दर्पण ये जीवन माँ का दर्पण हैबस माँ का मान बढ़ाता चल।धन दौलत यहीं पे छूटेगीसत्कर्मों की राह बनाता चल।। खुशीयों की किसी से ना जलनाअपने सपने साकार करो,गुलशन में किसी के ना खिलनाअपने पुष्पों से श्रृंगार करो,मत चढ़ना झूठ…

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हिंदी गीत – आशीष तेरा माँ | Hindi Geet Aashish Tera Maa

हिंदी गीत - आशीष तेरा माँ हिंदी गीत - आशीष तेरा माँ तर्ज : ये बंधन तो प्यार का…. मंदिर में तेरे आकरअरदास करूं घबराकरसंकट हर ले माँ सारेमुझको गले लगा करतु है तो मैं क्यूँ चिंता करता हूँ ।तेरे होते मैं क्यूँ डरता हूँ ।। जब जब मैनें तुझको…

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क्षमादान पर कविता | Kshmadan Par Kavita

क्षमादान पर कविता क्षमादान पर कविता क्षमा दान यदि कर पाओ तोकरके बन जाओ भगवानक्षमा हृदय की शांत अवस्थाईश्वरीय हो जाता इंसान, जो देता है दान किसी कोलौट वही फिर पाता हैक्षमा दान है श्रेष्ठ दान मेंयह सच्चा धर्म बताता है, मानवता का है एक लक्षणक्षमा दान कहलाता है देने वाला…

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गीत – माँ हमको तेरा प्यार मिला | Maa Humko Tera Pyar Mila

गीत - माँ हमको तेरा प्यार मिला गीत - माँ हमको तेरा प्यार मिला कोई पिछले जन्म के अच्छे कर्ममाँ हमको तेरा प्यार मिला ।चरणों में वंदन करते सभीमाँ सच्चा ये दरबार मिला ।। कोई ओर हमें अब क्या देगाइस दर से जो मैनें पाया है,तरसे जिसे दुनिया सारीउस हाथ…

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बुजुर्गों का सम्मान पर कविता | Bujurgon Ka Samman Par Kavita

बुजुर्गों का सम्मान पर कविता बुजुर्गों का सम्मान पर कविता घर-घर में बढ़ गया कपट,कोने में वृद्ध गए सिमट,रोज-रोज होती खटपट,सब करते इनसे नफरत। हो जाते जब वृद्ध अपंग, जीवन हो जाता बदरंग,नहीं कोई अब रहते संग,अजीब है दुनिया का ढंग। वृद्ध सारे करते विषपान,बच्चे करते सब अमृतपान,वृद्धजनों की हम सन्तान,वृद्ध बनते सबकी पहचान। कुछ वृद्धजन हैं धनवान,विदेश में रहे उनकी सन्तान,सोच-सोचकर हैं परेशान,खतरे में रहते उनके प्राण। ताके कभी न पुत्र जवान, मिट गए उनके अरमान,वृद्ध की लाठी,वृद्ध की जान,वही है अब इनकी संतान। वृद्धजनों का न करें उपहास,बच्चों के लिए किए उपवास,रक्खें उन्हें अपने पास,नहीं जाएं तू कभी प्रवास। नहीं हैं वृद्धजन अजनवी,बनके रहे सदा तपस्वी,बड़े हैं वे जीवन अनुभवी,न बनाएं जीवन कड़वी। नौजवानों को है धिक्कार!न करें कभी उन पर प्रहार,तुम्हें मिला जीवन उपहार,पूरा करें उनका इजहार। बच्चे वृद्ध हैं एक समान,नहीं करें वृद्ध का अपमान,वे हैं तुम्हारे अपने प्राण,वे भी रहे थे कभी जवान। पढ़िए :- बूढ़ी माँ पर मार्मिक कविता | एक घर में बूढ़ी माँ रचनाकार का परिचय यह कविता हमें भेजी है सदानन्द प्रसाद जी ने संग्रामपुर,लखीसराय ( बिहार ) से। इनकी…

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माँ दुर्गा पर हिंदी कविता | Maa Durga Par Hindi Kavita

माँ दुर्गा पर हिंदी कविता माँ दुर्गा पर हिंदी कविता जिस मिट्टी की मूरति को, गढ़ गढ़ हमी बनाते हैंशाम सुबह भूखे प्यासे,उसको शीश झुकाते हैं सजा धजा कर खुद सुंदर, मां का रूप बताते हैंबिन देखे ही बिन जाने,नौ नौ रूप दिखाते है यह कैसा है भक्ति भाव,आओ हम बतलाते हैंधरती…

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5 हिंदी ग़ज़लें | 5 Hindi Gazalen

5 हिंदी ग़ज़लें 5 हिंदी ग़ज़लें - अगर है प्यार अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी हैदिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है इशारा तो करो मुझको कभी अपनी निगाहों से अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है अगर कर ले सभी ये काम…

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कान पर कविता – मैं कान हूं | Kaan Par Kavita

कान पर कविता कान पर कविता मैं कान हूंअपने जिम्मेदारियों सेपरेशान हूं।  गालियां हों या तालियांअच्छा हो या बुरा सबको सुनकर,सहकरहैरान हूं। खैर छोड़िए मैं कान हूं।  चश्में का बोझ ढोकरडंडियों से जकड़ा हुआ आंखों के मामलों में,मैं बना पहलवान हूं। खैर छोड़िए मैं कान हूं।  गलतियां हाथ की होया मुंह आंख कीमरोड़ा मैं जाता हूंइसलिए किमैं बेजुबान हूं। खैर छोड़िए मैं कान हूं। फैशन के झाला…

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हिंदी कविता दिल जोड़ दो | Hindi Kavita Dil Jod Do

हिंदी कविता दिल जोड़ दो हिंदी कविता दिल जोड़ दो यहां उनका भी दिल जोड़ दो जिनके दिल टूटे हैंचलते कदम थमे हैं,वो जीना जानते हैं ।ना  जख्मों को सीना जानते हैं ।। तुम उन्हें भी अपना लो ।प्यारे तुम मेरी बात मानविश्व बंधुत्व का भाव लेकर,जन- जन से बैर भाव छोड दो ।"यहा उनका भी दिल जोड़ दो"।। हम सब के ओ प्यारे,किस कदर हैं दूर किनारे।जीत की भी क्या आसरखते हैं मन मारे ? ये मन मैले नहीं निर्मल हैं,सबल न सही निर्बल हैं,समझते हैं हम जिन्हें नीचे हैं,वे कदम दो कदम ही पीछे हैं,जो हिला दे उन्हेंऐसी आंधी का रुख मोड़ दो ।यहाँ उनका भी दिल  जोड़ दो ।। दिल बिना क्या यह महफ़िल है,क्या जीने के सपने हैं,बेगाना कोई नहीं सब अपने हैं.ये सब मन के अनुभव हैं,नहीं हूँ अभी वो, पहले मैं था जो,सुना था मैंने मरना ही दुखद है,पर देखा लालसाओं के साथ जीना, महा दुखद है.फिर क्या है सुख ?क्या जीवन सार ?सुख है सब के हितार्थ में,जीवन - सार है अपनत्व में,ऐसा अपनत्व जो एक दूजे का दिल जोड़ दे ।कोई गुमनाम न हो नाम जोड़ दे ।।वरना सब असार है चोला,सब राम रोला भई सब राम रोला ।। पढ़िए :- कविता दु:ख की बदली | Kavita Dukh Ki Badl रचनाकार का परिचय यह कविता हमें भेजी है शिव कुमार साहू जी ने मु.सोनपुर, तह. रामानुज नगर, शहर- सूरजपुर, जिला-…

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हिंदी कविता स्त्री मन | Hindi Kavita Stree Man

हिंदी कविता स्त्री मन हिंदी कविता स्त्री मन स्त्री मन को यह जमाना नहीं समझ पाया,जब जब जमाने ने स्त्री को ठुकराया। तब स्त्री ने पुरुषों को भी मात देकर बताया,स्त्री तेरे मन को यह जमाना नहीं समझ पाया। तू कटती, जलती रही परिवार को भोजन खिलाने के लिए,तू मरती…

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गांधी जयंती पर कविता | Gandhi Jayanti Par Kavita

गांधी जयंती पर कविता गांधी जयंती पर कविता हे! मानव तू सीख सीख लेबापू जैसे इंसानों सेमानवता से निर्मित तन मनसत्य अहिंसा इमानों से, संत पुजारी देशभक्त तूजनहित में हो लोकप्रिय राष्ट्र पिता बापू जन जन काकरुणामय जन के प्राणप्रिय देख वेदना कष्ट मुसीबतभारत के नर नारी केत्याग दिया तब सूट…

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बाल गीत दो बहनें | Bal geet Do Bahne

बाल गीत दो बहनें बाल गीत दो बहनें सोच रहा था बहुत दिनों से मैं कुछ लिखना,एक थी लड़की जिसकी थी इक प्यारी बहना।दोनों बहने भोली-भाली दोनों सुन्दर,दोनों को ही मिले हुए थे एक-एक बन्दर।। बजा डुगडुगी दोनो बहनें खेल दिखातीं,छड़ी दिखाकर वो बन्दर को खूब नचातीं।दोनों बहने करती थीं…

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