Dard Bhari Kavita | दर्द भरी कविता | Sad Poem Hindi

Dard Bhari Kavita आप पढ़ रहे हैं दर्द भरी कविता " दुःखी था मन " :- Dard Bhari Kavitaदर्द भरी कविता दुःखी था मन मेरा पर मैंराह में चलता चला गया,अपनों से जुड़ने की बजायटुकडों में बंटता चला गया। ना बुरा कहा ना भला कहाठुकरा दिया सब कुछ,उड़ने की तमन्ना…

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मुलाकात पर कविता | Mulakat Par Kavita

पढ़िए रामबृक्ष कुमार जी द्वारा रचित मुलाकात पर कविता :- मुलाकात पर कविता चलता गयाचलता रहा मिलता रहाहर लोग से,जीवन सफ़रकटता रहामुड़ता गयाहर मोड़ पे, जितने मिलेजैसे मिलेअपने मिलेंया गैर हो,कहता गयादेता गयाशुभकामनासब खैर हो , आता गया फिर मोड़ थाडगमग डगरका अंत वह,डूबता दिन था अंधेराआंधी चली अब मंद बह, दिखता नहीथा सामनेउठता…

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आंगन पर कविता | बांटों ना आंगन बन्धु | Angan Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं रामबृक्ष कुमार जी द्वारा रचित आंगन पर कविता " बांटों ना आंगन बन्धु " :- आंगन पर कविता बांटों ना आंगन बन्धु! आज तोड़ो ना रिस्तें मधुर आज।  तुलसी सी मां-ममता महकेघर का कोना कोना गमकेजीवन की ज्योति सदा चमकेंबजता है जिसमें प्रेम साज।  बांटों ना आंगन…

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जननी पर कविता – प्रेम की अविरल नदी मैं | Janani Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं जननी पर कविता " प्रेम की अविरल नदी मैं " जननी पर कविता प्रेम की अविरल नदी मैंतु स्नेह का सागर है माँ,चीर कर दीर्घ लहरों कोमैं तुझमें मिलना चाहता हूँ, अंजुरी में ले शुभ्र कमलऔर पावन शुचित नीर,कर समर्पण खुद को मैंचरणों में उतरना चाहता…

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माँ को समर्पित कविता – माँ से है संसार प्रकाशित

आप पढ़ रहे हैं माँ को समर्पित कविता " माँ से है संसार प्रकाशित " - माँ को समर्पित कविता माँ से है संसार प्रकाशितमाँ में ईश समाया है।उस माँ को लाखों प्रणाम हैजिसने मुझे बनाया है।। मेरी बचपन की नादानीपर आँखों को मीचा है,बुद्धि, विवेक, ज्ञान के जल सेमाँ…

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Maa Ke Upar Kavita | माँ के ऊपर कविता

Maa Ke Upar Kavita Maa Ke Upar Kavita विपदाओं का करता स्वागतनित नित बाँह पसार कर,नव निर्माण करो अब माँबीता हुआ बिसार कर। सुख दुःख जीवन के साथी हैसंग गाते हँसते रोते हैछुपी हुई आशाओं सेधुंधली दृष्टि को धोते हैतेरी ममता की छाँव से मैंआया हूँ जग को हार करकद…

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प्रतिभा पलायन पर कविता | Pratibha Palayan Par Kavita

प्रतिभा पलायन पर कविता प्रतिभा पलायन पर कविता मन में है विदेशी नोट का ख्वाब,परदेशों की ओर हो रहा झुकाव,प्रतिभा पलायन का हो रहा बहाव,हो रहा राष्ट्र का क्यों बिखराव ? जिस मां की कोख ने जनम दिया,नहीं कभी उसकी परवाह किया,अर्थ लालच में परित्याग किया,राष्ट्र विकास अपना भुला दिया।…

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जीवन का सफर कविता | Jeevan Ka Safar Kavita

जीवन का सफर कविता - आप पढ़ने जा रहे हैं सदानन्द प्रसाद जी द्वारा रचित " जीवन का सफर " जीवन का सफर कविता कांटे भरा है पूरा रास्ता,कैसा है जीवन से वास्ता,जब पास नहीं रहे पैसा,जीवन का सफर है कैसा! बारिश में न बूंदें टपकी,किसी को न आई झपकी,भुखमरी…

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प्रभु पर कविता | Prabhu Par Kavita

प्रभु पर कविता - पढ़िए सदानन्द प्रसाद जी द्वारा रचित प्रभु पर कविता " प्रभु ने रचा है ऐसा संसार " :- प्रभु पर कविता प्रभु ने रचा है ऐसा संसार,जीवों के हैं अनेक प्रकार,सबके नहीं मिलते आकार,प्रभु हैं अद्भुत कलाकार। आप हैं ईश्वर निराकार,जीवों को बना दिया साकार,कैसा दिया…

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Bachpan Par Kavita | बचपन पर कविता

Bachpan Par Kavita - आप पढ़ रहे हैं कवि सदानन्द प्रसाद जी की द्वारा रचित बचपन पर कविता " बचपन का वो क्षण-क्षण " :- Bachpan Par Kavita बचपन का वो क्षण-क्षण,मेरा मन करता था टन-टन,याद आया गांव का कण-कण,आज खुश नहीं है तन-मन। खेलते थे संग वो दिन सखा,सोचकर…

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Best Poem On Pen In Hindi | कलम पर कविता

Poem On Pen In Hindi - आप पढ़ रहे हैं कलम पर कविता " कलम हूं कलम मैं " :- Poem On Pen In Hindi कलम पर कविताकलम हूं कलम मैंअनोखी कलम हूं।  कोरा था कागजथी मंजिल सफर परचली चाल टेढ़ीपकड़ कर डगर को कभी हाथ जज केमुकद्दर लिखी हूंकभी…

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Hindi Ka Mahatva Par Kavita | हिंदी का महत्व पर कविता

Hindi Ka Mahatva Par Kavita - आप पढ़ने जा रहे हैं हिंदी का महत्व पर कविता :- Hindi Ka Mahatva Par Kavita हिंदी का महत्व क्या है- इक कुपढा मुझसे पूछता है, हिंदी के अपवादों के भीतर तर्क लग्न से खोजता है,हिंद-शब्द मुँह से फूट पड़ने पर  मुँह को अपने मसोसता…

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