तिरंगा पर कविता

तिरंगा पर कविता

तिरंगा पर कविता

तिरंगा शान से लहरे
तिरंगा आन से फहरे।

छुपा इतिहास गौरव का,
समेटे भाव कुछ गहरे।
निगाहों में सभी की मान
औ सम्मान बन ठहरे।
अमिट पहचान दे यह
विश्व में ऊँचा दिखाई दे,
तिरंगा शान से लहरे,
तिरंगा आन से फहरे।

सजे सिन्दूर माथे
भारती के रंग केसरिया ।
धवल रंग इसका है
बहाता शांति का दरिया।
हरा ये रंग खुशियों का,
भरा जीवन रहे इससे,
चरैवति की दिशा दे
मध्य में चक्र इक जरिया।

इसे परवाज देकर याद
वीरों की करें हम सब।
वतन के गर्व के जज्बात
दिलों में भरें हम सब ।
अगर नापाक हसरत
देश पर आतंक बरपाएँ,
गूँथे जो एकता के सूत्र में
फिर क्यों डरें हम सब ।

खिलाड़ी की फतह के
ये सभी किले ढहाता है।
सलामी पा खुशी में
डूब कर गंगा नहाता है।
करोड़ों भारतीयों के
लहू में भाव बन दौड़े,
शहीदों को लपेटे जब
बिलख आँसू बहाता है।

पढ़िए :- राष्ट्रीय ध्वज को समर्पित कविता ” शान तिरंगा माँ तिरंगा “


रचनाकार का परिचय

यह कविता हमें भेजी है यमुना पाठक जी ने जमशेदपुर से।

“ तिरंगा पर कविता ” ( Tiranga Par Kavita ) आपको कैसी लगी? ” तिरंगा पर कविता ” के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply