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Waqt Shayari 2 Lines
वक्त शायरी

Waqt Shayari 2 Lines

मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ

– मिर्ज़ा ग़ालिब


वक़्त से लम्हा लम्हा खेली है
ज़िंदगी इक अजब पहेली है

– अमीता परसुराम मीता


वक़्त आराम का नहीं मिलता
काम भी काम का नहीं मिलता

– मुज़्तर ख़ैराबादी


वक़्त बर्बाद करने वालों को
वक़्त बर्बाद कर के छोड़ेगा

– दिवाकर राही


वक़्त-ए-रुख़्सत आ गया दिल फिर भी घबराया नहीं
उस को हम क्या खोएँगे जिस को कभी पाया नहीं

– परवीन शाकिर


वक़्त और हालात पर क्या तब्सिरा कीजे कि जब
एक उलझन दूसरी उलझन को सुलझाने लगे
( तब्सिरा = समीक्षा )

– चन्द्रभान ख़याल


वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसाँ था
मुझ से हर वक़्त मुख़ातिब रही ग़ैरत मेरी

– अमीर क़ज़लबाश


वक़्त की मौज हमें पार लगाती कैसे
हम ने ही जिस्म से बाँधे हुए पत्थर थे बहुत

– जलील हैदर लाशारी


ये वक़्त किस की रऊनत पे ख़ाक डाल गया
ये कौन बोल रहा था ख़ुदा के लहजे में

– इफ़्तिख़ार आरिफ़


तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे
अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है

– जावेद अख़्तर


वक़्त देता है जो पहचान तो ये देखता है
किस ने किस दर्द में दिल की ख़ुशी रक्खी हुई है

– जलील ’आली’


हाँ मुझ पे सितम भी हैं बहुत वक़्त के लेकिन
कुछ वक़्त की हैं मुझ पे इनायात वो तुम हो

– ज़िया जालंधरी


पलट चलें कि ग़लत आ गए हमीं शायद
रईस लोगों से मिलने के वक़्त होते हैं

– अज़हर इनायती


हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं
इक दूजे को वक़्त नहीं दे पाते हैं

– फरीहा नक़वी


वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जाता
सो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं

– अख़्तर नज़्मी


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Bura Waqt Shayari 2 Lines


कोई महफ़िल से उठ कर जा रहा है
सँभल ऐ दिल बुरा वक़्त आ रहा है

– सुहैल अज़ीमाबादी


अच्छे-ख़ासे लोगों पर भी वक़्त इक ऐसा आ जाता है
और किसी पर हँसते हँसते ख़ुद पर रोना आ जाता है

– अज़हर फ़राग़


वक़्त अच्छा ज़रूर आता है
पर कभी वक़्त पर नहीं आता

– परवेज़ साहिर


वक़्त भी अब मिरा मरहम नहीं होने पाता
दर्द कैसा है जो मद्धम नहीं होने पाता

– सरवत ज़ेहरा


तू ने ऐ वक़्त पलट कर भी कभी देखा है
कैसे हैं सब तिरी रफ़्तार के मारे हुए लोग

– मिर्ज़ा अतहर ज़िया


कलेजा रह गया उस वक़्त फट कर
कहा जब अलविदा उस ने पलट कर

– पवन कुमार


वक़्त के साथ ‘सदा’ बदले तअल्लुक़ कितने
तब गले मिलते थे अब हाथ मिलाया न गया

– सदा अम्बालवी


किसी भी वक़्त बदल सकता है लम्हा कोई
इस क़दर ख़ुश भी न हो मेरी परेशानी पर

– जमाल एहसानी


अब तो हर वक़्त वही इतना रुलाता है मुझे
जिस को जाते हुए मैं देख के रो भी न सका

– कामिल अख़्तर


शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं

– राजेश रेड्डी


वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए
रो पड़ा वो आप मुझ को हौसला देते हुए

– रियाज़ मजीद


दुख कटे ज़हमत कटे कट जाए बद-हाली सभी
वक़्त काटे ना कटे तो क्या करें किस से कहें

– जतीन्द्र वीर यख़मी ’जयवीर


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Waqt Shayari Attitude

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है

– बिस्मिल अज़ीमाबादी


आख़िरी वक़्त तलक साथ अंधेरों ने दिया
रास आते नहीं दुनिया के उजाले मुझ को

– दानिश अलीगढ़ी


ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त के अंधेरे में
भीख के उजालों से रौशनी नहीं होती

– हस्तीमल हस्ती


डाल दी पैरों में उस शख़्स के ज़ंजीर यहाँ
वक़्त ने जिस को ज़माने में उछलते देखा

– क़ैसर ख़ालिद


पढ़िए :- बदलते समय पर कविता | समय का पहिया घूम रहा है


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