मां के ऊपर कविता

मां के ऊपर कविता

मां के ऊपर कविता

माँ तुझको देवी रूप में
स्वीकार कर लिया,
तेरी हर बात का हमने
ऐतबार कर लिया,
चाहकर भी तुमसे दूर
रह ना पायेंगें हम कभी,
काश हमको मिल जाते
तुमसे वो अधिकार सभी,
तेरी भक्ति के रंग में
सरोकार कर लिया।

माँ तुझको देवी रूप में
स्वीकार कर लिया।

एक जन्म नहीं है ये
जन्मों जन्मों का बंधन है,
तेरे चरणों की धूल तो
मेरे माथे का चंदन है,
तेरे वरदान से मानों
उजड़ा जीवन संवर जाए,
तेरे भजनों को गाये जो
कोई ऐसा कंवर आए,
इस वंदना का स्वप्न आज
साकार कर लिया।

माँ तुझको देवी रूप में
स्वीकार कर लिया।

घर की रौनक तुझ से माँ
तुझ से ही संसार है,
जैसा भी हूँ आज यहाँ
तेरे ही संस्कार है,
नाम तेरा पहचान तेरी
अधरों पे मुस्कान तेरी,
तुझ बिन कौन संवारेगा
गलियाँ है सुनसान तेरी,
त्याग तपस्या साधना का
हकदार कर लिया।

माँ तुझको देवी रूप में
स्वीकार कर लिया।

पूजा का हो थाल तुम्ही
हो मन मंदिर की आरती,
कलयुग में रक्षा करो
बनके मेरा सारथी,
दुआओं याचनाओं में हो
विश्वास की तुम धारणा,
बाट में तेरी विष पीया
उस मीरा को तुम तारणा,
भक्ति के दीपों का तैयार
दरबार कर लिया।

माँ तुझको देवी रूप में
स्वीकार कर लिया।

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