आजादी पर हिंदी कविता

आजादी पर हिंदी कविता

आजादी पर हिंदी कविता

यहां से वहां तक
जहां न तहां तक
मुट्ठी को जकड़े
तिरंगे को पकड़े

थें निकले दिवाने
आजादी को पाने,
आजादी में आगे
थे आजाद भागे

इंकलाब जय की
भारत विजय की
लगते थे नारे
गलियों में सारे,

सिंहनाद जन जन 
गरजते थे गर्जन
लिए जोश जज्बा
गली कूच कस्बा

आजादी को लाने
चले थे दिवाने ,
कहानी गढ़ी थी
जवानी भरी थी

किशोरा अवस्था
संग स्कूली बस्ता
कहां मन को भाया?
न दिल को सुहाया

लिए हाथ झण्डा
उठाए तिरंगा
चले थे समर में
कफन कस कमर में 

मूंछों पर दे ताव
भक्ती भरा भाव
चलें सिर कटाने
गुलामी मिटाने 

 आजादी को लाने
चले थे दिवाने ,
पूछा जब गोरा
बता नाम छोरा

मुस्कराते रहे तब
डरते कहां कब
आजाद मैं हूं 
हमेशा रहा हूं

स्वतंत्रता पिता का
हूं आजाद बेटा
भारत मेरी माता 
से जन्मों का नाता

 अचम्भित हुआ जज
देख जोश रग रग
देखते ही उम्र कद
पार फिर किया हद

कोड़े पचास का
आदेश कर दिया था
हर एक कोड़े पर
बोलते हुंकार भर

इंकलाब जिंदाबाद 
भारत करो आजाद
हर बार मार तक
हर एक वार तक। 

दमकती जवानी
गयी लिख कहानी
न थी प्रार्थनाएं 
न थी याचनाएं

बलिदान मंजूर
होंगे न मजबूर 
समय शाम की थी
जगह पार्क की थी

संग साथियों के
सहयोगियों के
नयी योजना की
कि चर्चा बनी थी

तभी गोलियों की
हवा सी बही थी
अंतिम थी गोली
अब न संग टोली

 जीवन की लीला
खतम की अकेला
अमर हो गया तब
धरा से गगन तक

 यहां से वहां तक
जहां न तहां तक। 

पढ़िए :- देशभक्ति कविता ” हिंद की ओर “


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

“ आजादी पर हिंदी कविता ” ( Azadi Par Hindi Kavita ) आपको कैसी लगी ? “ आजादी पर हिंदी कविता ” ( Azadi Par Hindi Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply