Prernadayak Kavita Aaina – आप पढ़ रहे हैं प्रेरणादायक कविता आईना :-
Prernadayak Kavita Aaina
प्रेरणादायक कविता आईना
खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल
बह रही गर आंधी दुःख की
कष्ट का कंकड़ थपेड़ा
छा रही है मंजिल पथ पर
धूल धूसितमय अंधेरा
मानो मन का हीलता जड़
टूटते हों स्वप्न सारा
कांपते हों पांव थर थर
न कोई अपना सहारा
लगता क्या कोई आयेगा
खोलेगा सुख का पिटारा
किसको क्या इतना पड़ा है
दूर कर दे दुःख तुम्हारा
खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल।
दूर होगी दु:ख की आंधी
धूल धूसितमय अंधेरा
मिट जायेगी रात काली
होगा अरुनमय सबेरा
देख लो पहले जिसे तुम
ढूंढ़ते संसार सारा
है कौन पहचान ले तू
वह निडर निर्भीक न्यारा
मोहिनी मुस्कान लेकर
साफ कर ले धूल सारा
आइना में देख ले फिर
है कौन इंसान प्यारा
खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल।
आईना है मन का मंथन
है दिखाता सत्य सारा
जो भटकता क्षण क्षण पल पल
है बताता राज सारा
खुद में खुद ही खुद को देखो
है आइना में छवि तुम्हारा
बांध ले अब खुद की हिम्मत
है कौन जो दे सहारा।
खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल।
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रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।
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