गांधी जयंती पर कविता

गांधी जयंती पर कविता

गांधी जयंती पर कविता

हे! मानव तू सीख सीख ले
बापू जैसे इंसानों से
मानवता से निर्मित तन मन
सत्य अहिंसा इमानों से,

संत पुजारी देशभक्त तू
जनहित में हो लोकप्रिय 
राष्ट्र पिता बापू जन जन का
करुणामय जन के प्राणप्रिय

देख वेदना कष्ट मुसीबत
भारत के नर नारी के
त्याग दिया तब सूट बूट सब
होकर लाचार बेगारी से

अंग्रेजों के भय से भारत
जकड़ा था जंजीरों से
आजादी की सोंच दूर थी
जन जन की तकदीरों से

काट रहे थे पंख समूचे
सोने की सुन्दर चिड़िया के
उजड़ रहे थे घर आंगन सब
वन उपवन सा सब बगिया के 

आधी साड़ी पहन नहाती
आधी बाहर रखी थी
पूछी बा ने उस महिला से
जिसे देख अचंभित थी

सुनकर बापू प्रण लिए फिर
आधी धोती में जीने का 
बिना आजादी शान्त रहूं न
न आग बुझेगी सीने का 

सत्य मार्ग पर चल कर बापू
आजादी का किया आगाज
जीवन का ही मूल्य चुकाकर
भारत को कर दिया आजाद

शत् शत् नमन करुं मैं वंदन
बापू के उन चरणों का
जिसके पथ के हर पग पग पर
अर्पित सुमन हर सपनों का। 

पढ़िए :- भारत देश पर कविता – भारत देश अनोखा


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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