5 हिंदी ग़ज़लें | 5 Hindi Gazalen

5 हिंदी ग़ज़लें

5 हिंदी ग़ज़लें

5 हिंदी ग़ज़लें – अगर है प्यार

अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है

इशारा तो करो मुझको कभी अपनी निगाहों से

अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है

अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता
ख़ता कोई नज़र आए छुपाना भी ज़रूरी है

अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब
पड़े कदमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है

कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे सामने तो फिर
उसे अब पेट भर कर के खिलाना भी ज़रूरी है

अगर रोता नज़र आए कभी मस्जिद या मंदिर में
बड़े ही प्यार से उसको हँसाना भी ज़रूरी है

पढ़िए :- प्यार का गीत :- प्यार भी करते रहे हम


5 हिंदी ग़ज़लें – फिर वही क़िस्सा

फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए
फिर वही सपना सजाना तो चाहिए

यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए
जाम नज़रों से पिलाना तो चाहिए

अब ख़ता करने जहाँ जाना चाहिए
अब पता उसका बताना तो चाहिए

दिल जगाकर नींद में ख़्वाबों को सुला
ये जहाँ अपना बनाना तो चाहिए

दिन निकलते ही जगाते हो तुम किसे
शाम को आ कर बताना तो चाहिए

रोकती है गर नुमाइश थकने से तब
इस अता से घर बनाना तो चाहिए

आपबीती, आदतन या बीमार है
दर्द कितना है बताना तो चाहिए

आसमाँ से गुफ़्तुगू होती ही नहीं
लड़ झगड़ने को ज़माना तो चाहिए

पढ़िए :- हिंदी कविता – ग़ज़ल की कहानी


5 हिंदी ग़ज़लें – खोने वाले

खोने वाले तेरा खोना नहीं देखा जाता
रोने वाले तेरा रोना नहीं देखा जाता

उजड़े वो घर भी जो आमान होते थे तेरे
लुटने वाले तेरा लुटना नहीं देखा जाता

हाथों से अपने तुझको यूँ जगाते हैं बच्चे
सोने वाले तेरा सोना नहीं देखा जाता

चलता था कैसे कैसे देखते थे तुझको सब
रुकने वाले तेरा रुकना नहीं देखा जाता

जलता था तो हस्ती रोशन भी सभी थे तुझसे तब
बुझने वाले तेरा बुझना नहीं देखा जाता

राहों को तेरा आना भी सबब था इज़्ज़त का
जाने वाले तेरा जाना नहीं देखा जाता

ग़म में रोते हैं तेरे चाहने वाले ‘आसिफ़’
मरने वाले तेरा मरना नहीं देखा जाता

पढ़िए :- वक्त पर कविता :- कुछ खोया मिलाना है


5 हिंदी ग़ज़लें – आँखों ने तिरी

आँखों ने तिरी मुझसे सब बोल दिया है
आँसू ने हक़ीक़त का दर खोल दिया है

आने को बहारें आती हैं दुनिया में
पर महबूब ने दर्द-ए-ग़म मोल दिया है

ग़म भरने लगेंगे पर ये याद रखो तुम
बाज़ारू हँसी को सब ने तोल दिया है

मरने से कहाँ पूरी होती है मुहब्बत
मैंने ज़हर को भी तेरा नाम दिया है

महकेगी फ़ज़ा, सहरा में फूल खिलेगा
माली ने बगीचे में दिल घोल दिया है

रोज़-मर्रा की तरह झेली है आज मुसीबत
पंछी का बसेरा उसने तोड़ दिया है

जब मिट्टी ने पत्थर को भी काट दिया था
तो पत्थर ने भी मिट्टी को फोड़ दिया है

पढ़िए :- हिंदी ग़ज़ल समंदर सी आँखें 


5 हिंदी ग़ज़लें – मिट्टी का बना हूँ

मिट्टी का बना हूँ मगर टूट नहीं सकता
बेटा हूँ यहीं का मगर रूठ नहीं सकता

थकना भी ज़रूरी है मेरा दुनिया में फिर
पत्थर तो नहीं हूँ मगर फूट नहीं सकता

लोगों को पता है नफ़ा’-ए-दुनिया का फ़न
मैं भी जानता हूँ मगर लूट नहीं सकता

सूरत में मिरी आज भी कुछ कमियाँ हैं पर
सीरत से कभी मैं मगर रूठ नहीं सकता

करता आरज़ू मैं अगर राज़ छुपाता कुछ
माली तो नहीं हूँ मगर छूट नहीं सकता

पढ़िए :- मिट्टी की महिमा पर कविता | हाँ मैं मिट्टी हूँ


रचनाकार का परिचय

यह 5 हिंदी ग़ज़लें हमें भेजी है मुहम्मद आसिफ अली जी ने काशीपुर, उत्तराखंड से। मुहम्मद आसिफ अली एक भारतीय कवि, लेखक और उपन्यासकार हैं जो पेशे से एक वेब डिज़ाइनर भी हैं आसिफ यूट्रीक्स ( Youtreex) फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और संथापक हैं जो भारत में एक कविता मंच है। साथ ही ये प्रिज़्मवेब टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक और डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर हैं। मुहम्मद आसिफ अली नाम से इनका एक ब्लॉग भी है।

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