बाल गीत दो बहनें

बाल गीत दो बहनें

बाल गीत दो बहनें

सोच रहा था बहुत दिनों से मैं कुछ लिखना,
एक थी लड़की जिसकी थी इक प्यारी बहना।
दोनों बहने भोली-भाली दोनों सुन्दर,
दोनों को ही मिले हुए थे एक-एक बन्दर।।

बजा डुगडुगी दोनो बहनें खेल दिखातीं,
छड़ी दिखाकर वो बन्दर को खूब नचातीं।
दोनों बहने करती थीं आपस में बातें,
हंसी-ख़ुशी से बीत रही थी उनकी रातें।।

तभी एक दिन उलझ पड़ी दोनों तापस में,
बन्द हो गयी दोनों की बातें आपस में।
मेल-जोल की बातें दोनों बहने भूली,
बैठी रहतीं दोनों दिन भर फूली-फूली।।

हुई डुगडुगी बन्द खत्म हो गए खेल तमाशे,
दोनों बन्दर रहते दिन भर भूखे-प्यासे।
पहला बोला आओ कोई जुगत लगायें,
दोनों बहनों की आपस में बात करायें।।

बोला दूजा आओ जग की रीति बतायें,
दोनों बहनों का मसला है खुद सुलझाएं।
गए कई दिन बीत यूँ बैठे निपट अकेले,
दोनों सोचें कैसे अपने मन को मेलें।।

सोचा दोनों ने आखिर हम क्यों झगड़े थे,
मिली न कोई बात न कोई भी लफड़े थे।
धुली ह्रदय की गर्द तो फिर था क्या कहना,
कर आपस में बात पिचक गयीं दोनों बहना।।

पढ़िए :- बहन के लिए कविता “बहन तो गुड़िया है”


रचनाकार का परिचय

आर0 एल0 गुप्ता

नाम : आर0 एल0 गुप्ता
शिक्षा : स्नातकोत्तर (समाजशास्त्र).
व्यवसाय : शासकीय सेवा
निवास : लखनऊ

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