आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता कर्महीन नर :-

हिंदी कविता कर्महीन नर

हिंदी कविता कर्महीन नर

है कर्महीन नर निज पशुता सम,
पथहीन निराश्रित विषय विषम।

मानव तन है मूल्यवान निज कर्तव्यो से मत भागो तुम,
गफलत की नींद बहुत सोए उठो नींद से जागो तुम।

अर्जुन सा लक्ष्य रखो अपना बस लक्ष्य निशाना बांधो तुम
मानव तन है मूल्यवान निज कर्तव्यो से मत भागो तुम।

मानव हो मत कर्म हीन दुर्गम पथ आसान करो तुम,
मत व्यथित करो मन को कुंठाओ पर कुछ तो सोच विचार करो तुम।

मानवता न हो शर्मशार ऐसे न व्यभिचार करो तुम,
दीन , दुखी, निर्बल पर घातक न प्रहार करो तुम।

मानव हो मनुजता से प्यार करो तुम,
मानव तन है मूल्यवान निज कर्तव्यो से मत भागो तुम।


रचनाकार कर परिचय :-

अवस्थी कल्पनानाम – अवस्थी कल्पना
पता – इंद्रलोक हाइड्रिल कॉलोनी , कृष्णा नगर , लखनऊ
शिक्षा – एम. ए . बीएड . एम. एड

“ हिंदी कविता कर्महीन नर ” ( Ankur Sa Badhta Jeevan ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

This Post Has 2 Comments

  1. Avatar
    Shivani Mishra

    Bhut hi sundar kavita

  2. Avatar
    हरिकृष्ण शुक्ल

    बहुत सुंदर रचना दीदी जी श्रद्द्येय प्रणाम

Leave a Reply