जिंदगी का सफ़र एक ऐसा सफ़र है जिसमें सब साथ होते हुए भी अलग-अलग सफ़र कर रहे होते हैं। ऐसे ही एक सफ़र पर निकल रही हैं इस कविता की रचयिता। आइये पढ़ते हैं ( Zindagi Ka Safar Kavita In Hindi ) जिंदगी का सफर कविता ” ऐ जिन्दगी मत पूछ ”
जिंदगी का सफर कविता
ऐ जिन्दगी मत पूछ मुझसे क्या खोया क्या पाया है,
तूने बिसात में बिछा दिए पत्ते अब पूछती है मैंने कौन सा उठाया है।
लहरों पे लिखकर पैगाम किनारों को बताने चले हैं,
अनजानी डगर पे रख कदम किस्मत आजमाने चले है।
सर पे बांधकर कफन किस कदर दीवाने चले है,
लगाकर दांव पर सांसे आसमां को जमी पे लाने चले हैं।
जलाकर उम्मीद की शमा खुद को आजमाने चले हैं,
लहरों पे लिखकर पैगाम किनारों को बताने चले हैं।
हो अंज़ाम कुछ भी प्रतीक्षा के धरातल पर होशो हवास गंवाने चले हैं,
लहरों पे लिखकर पैगाम किनारों को बताने चले हैं।
बहारों का शबब देख तूफ़ानों में कश्ती ठहराने चले हैं,
लहरों पे लिखकर पैगाम किनारों को बताने चले हैं।
मिलाकर वक्त से आंखे लम्हा लम्हा चुराने चले हैं,
अजब सी कश्मकश में दिल को समझाने चले हैं।
दहकते शोलो में किस कदर झूमते परवाने चले हैं,
लहरों पे लिखकर पैगाम किनारों को बताने चले हैं।
- पढ़िए :- हिंदी कविता अजनबी बनकर
रचनाकार कर परिचय :-
नाम – अवस्थी कल्पना
पता – इंद्रलोक हाइड्रिल कॉलोनी , कृष्णा नगर , लखनऊ
शिक्षा – एम. ए . बीएड . एम. एड
“ जिंदगी का सफर कविता ” ( Zindagi Ka Safar Kavita In Hindi ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Leave a Reply