आप पढ़ रहे हैं प्रेरणादायक कविता ( Ankur Sa Badhta Jeevan ) अंकुर सा बढ़ता जीवन :-
अंकुर सा बढ़ता जीवन
काल से हर हाल में लड़ने चला हूं,
जीवन के सफ़र में हौसलों संग बढ़ने चला हूं।
अंकुर से बढ़ते जीवन में कब तक तूफ़ान आएँगे,
एक दिन छोटे से तिनके से सारे के सारे ढह जाएंगे।
सूखे वृक्षों से पत्ते गिरकर एक दिन नई कपोले लाएंगे,
कोयल कूकेगी बागो में खुशियों के फूल खिल जाएंगे।
मन धीर बने रहना पथिक ठहराव क्षणिक हो जाएंगे,
कौन से काज कठिन जग में जो दृढ़ प्रतिज्ञ न कर पाएंगे।
अंकुर से बढ़ते जीवन में कब तक तूफ़ान आयेंगे,
बदले न मन उम्मीद कभी कब तक तिमिर अपना रंग दिखलाएंगे।
असाध्य नहीं कुछ भी जग में
स्वर्णिम किरणों की आभा में कोने कोने जगमगाएंगे ।
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रचनाकार कर परिचय :-
नाम – अवस्थी कल्पना
पता – इंद्रलोक हाइड्रिल कॉलोनी , कृष्णा नगर , लखनऊ
शिक्षा – एम. ए . बीएड . एम. एड
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धन्यवाद।
Kavita bahut hi sunder likha hi