विवाह पर कविता :- परिणय स्वीकार करो | Vivah Par Kavita
आप पढ़ रहे हैं ( Vivah Par Kavita ) विवाह पर कविता :- विवाह पर कविता स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर, यह परिणय स्वीकार करो... सम्प्रति साक्षी हैं गिरिजा गणेश, वर माला स्वीकार करो .... गठबन्धन है पावन अपना, हमराही अब बनना है । लेकर सत् संकल्पों को, सृजन नया अब…