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किताब पर हिंदी कविता

किताब पर हिंदी कविता

किताब में होते है पन्ने।
पन्नों में है कई राज।
पन्नों को पढ़ने से ही।
सरल होगे हमारे काज।

एक जमाना ऐसा था।
किराए से लेते थे पुस्तकें।
दो-तीन दिन में पढ़कर।
जल्दी बदलते थे पुस्तकें।

अब मोबाइल है सबकुछ।
करते है उसमें कुछ-कुछ।
जब तक हम नही पढ़ेंगे।
कुछ नही लिख सकेंगे।

किताब है सच्चा साथी।
उनसे खूब करो बातें।
खोलेगी दिमाग की बाती।

किताबों में भरा है।
खूब सारा ज्ञान विज्ञान।
पर उसको बिना पढ़े।
नही है हमारा कल्याण।

महान नरो की महानता।
का छिपा है इनमें गुर।
हजारों किताबें पढ़ने से।
ही खिला था उनका नूर।

हंसराज हंस कहता है।
पढ़ने की डालो आदत।
इनमे ही है सच्चा ज्ञान।
यही है सच्ची इबादत

पढ़िए :- भारत देश पर हिंदी कविता | Bharat Desh Par Kavita


“रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"
हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति (रिसोर्स पर्सन) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते। मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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