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विवाह पर कविता

विवाह पर कविता

स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…
सम्प्रति साक्षी हैं गिरिजा गणेश,
वर माला स्वीकार करो ….

गठबन्धन है पावन अपना,
हमराही अब बनना है ।
लेकर सत् संकल्पों को,
सृजन नया अब करना है ।।
दो गोत्रों के बन्धन को प्रिय,
हिय से अंगीकार करो ।।1।।
स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…

मैं सरिता का दो तट बनती,
तुम बहते पानी बन जाओ ।
मैं लाडली अपने पापा की,
तुम अमर कहानी बन जाओ ।।
सुख दुःख की लाँघ सीमाएं,
सत् चिन्तन व्यवहार करो ।।2।।
स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…

जो थी मैंने स्वप्न सजोई,
आज आप साकार हुए ।
मन उपवन की कलियों के अब,
विकसित हैं आकार हुए ।।
हृदय प्रदेश के तपोभूमि पर,
पावन मंत्रोच्चार करो ।।3।।
स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…

अंतःस्थल की ड्योढ़ी पर प्रिय,
भाव दीप अब जलना है ।
अब दोनों के अंतःकरण में,
पवन सुवासित चलना है ।।
पूर्ण समर्पित हूँ तुम पर अब,
पूर्ण रूप अधिकार करो ।।4।।
स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…

सम्प्रति साक्षी हैं गिरिजा गणेश,
वर माला स्वीकार करो ।।
स्वर्णिम सुखद सुअवसर पर,
यह परिणय स्वीकार करो…

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रचनाकार का परिचय

रूद्र नाथ चौबे ("रूद्र")नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964

जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।

शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।

बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश

पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।

अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।

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This Post Has 2 Comments

  1. Avatar
    Minu Ravindra Mohata

    चौबे जी द्वारा रचित विवाह पर कविता बहुत बढिया लिखी हुई है । शब्दों और भाव का तो जवाब नहीं ।

  2. Avatar
    प्रमोद शुक्ल

    अति सुन्दर। परन्तु संस्कार बद्ध जीवन के चार वर्णों की यात्रा आवश्यक है।

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