सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड काल चक्र से निर्मित एवं संचालित है ।सभी चर अचर काल चक्र के नियमानुसार गतिमान हैं । ब्रह्माण्ड में जड़,चेतन सभी का जीवन एवं सभी की गतिविधियाँ काल चक्र पर ही आधारित हैं। इन्हीं भावनाओं को प्रदर्शित करती हुई एक संक्षिप्त रचना ” हिंदी कविता काल चक्र ” आप सभी को समर्पित :-
हिंदी कविता काल चक्र
विश्व नहीं कुछ और बन्धुओं,
काल चक्र का महल खड़ा ।
जगत् बना है काल चक से,
काल चक्र का पहल बड़ा ।।1।।
ब्रह्माण्ड अखिल पर जगत् नियंता,
सर्वश्व नियंत्रण रखता ।
सर्व शक्तिमान के अनुशासन से,
सारा जग है चलता ।।2।।
एक रुपहला पर्दा है जग,
जहाँ सभी हैं दिखते ।
आकर सारे जीव चराचर,
अपना अभिनय करते ।।3।।
कभी किसी का अभिनय छोटा,
बड़ा किसी का हो जाता ।
किस कमाल से कैसे होता,
ना यह खेल समझ आता ।।4।।
छोटा शिशु धरती पर आता,
माँ ही पर निर्भर रहता ।
बढ़ता रहता काल चक्र से ,
धीरे धीरे सरकन लगता ।।5।।
मनमोहक मनमोहन मूरत,
मनमुग्धक औ मनभावन ।
काल चक्र संग होता व्यतीत,
जीवन का शिशु पन पावन ।।6।।
बाल अवस्था युवा अवस्था,
क्रमशः आती वृद्धावस्था ।
तन मन जीवन थक जाता है,
काल चक्र से मरणावस्था ।।7।।
उगता सूरज सुबह सबेरे,
बाल रूप सा लगता है ।
प्रथम प्रहर में होता किशोर,
ज्यों ज्यों दिन चढ़ता है ।।8।।
दोपहरी में युवा अवस्था,
वृद्धावस्था तीसरे प्रहर ।
जग आलोकित करता रहता ,
ढलता सायं तीसरे प्रहर।।9।।
धरती से नन्हा नव अंकुर,
नवोद्भिद् बन कर आता ।
नवल रश्मि पाकर सविता की,
हरषित होता सुख पाता ।।10।।
काल चक्र के संग संग चलकर,
वृक्ष बड़ा सा बन जाता ।
पहले लगते फूल और फल,
बीज अनन्तर उसमें आता।।11।।
काल चक्र से गतिमान चराचर,
सूरज चाँद सितारे ।
भूमिका बड़ी है काल चक की,
गति पाते जड़ सारे ।।12।।
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रचनाकार का परिचय
नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964
जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।
शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।
बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश
पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।
अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।
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